देश में मौजूदा बैंकों के अलावा पे-मेंट और छोटा बैंक भी होंगे। पे-मेंट जहां केवल जमाएं लेगा। वहीं छोटा बैंक केवल छोटे किसानों, कारोबारियों को बैंकिंग सेवाएं देगा। भारतीय रिजर्व बैंक नए बैंकों के जरिए खास तौर से ऐसे लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोडऩा चाहता है, जिनकी पहुंच बैंकिंग सेवाओं तक नहीं है।
दोंनो तरह के बैंकों को खोलने के लिए न्यूनतम 100 करोड़ रुपये पूंजी की जरूरत होगी। बृहस्पतिवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में पे-मेंट और छोटा बैंक खोलने के लिए ड्रॉफ्ट गाइडलाइन जारी कर दी है। रिजर्व बैंक सभी संबंधित हिस्सेदारों से इस संबंध में 28 अगस्त तक राय मांगी है। जिसके बाद अंतिम दिशा निर्देश रिजर्व बैंक जारी करेगा।
रिजर्व बैंक के अनुसार दोंनो तरह के बैंक खोलने के लिए प्रमोटर्स को कम से कम पांच साल तक के लिए 40 फीसदी हिस्सेदारी बैंक में रखनी होगी। जिसे उसे अगले 12 साल में घटाकर 26 फीसदी पर लानी होगी। इन बैंकों को भी एटीएम, पीओएस मशीन और सीमित आधार पर नेट बैंकिंग सेवाएं देने का भी अधिकार होगा। हालांकि रिजर्व बैंक का यह भी मानना है कि पे-मेंट और छोटा बैंक को भारी मात्रा में आईटी सेवाओं और तकनीकी पर निवेश करना होगा।
कैसा होगा पे-मेंट बैंक
रिजर्व बैंक के अनुसार बैंक केवल जमाएं ले सकेगा। इसके तहत वह चालू खाता और बचत खाता प्रमुख रुप से ग्राहकों के खोल सकेगा। शुरूआत में एक खाताधारक से 1 लाख रुपये से ज्यादा की पूंजी नहीं ली जा सकेगी। पे-मेंट बैंक मोबाइल टेलीफोन कंपनी, सुपरमार्केट चेन, कॉरपोरेट बीसी, एनबीएफसी, मौजूदा बैंक भी हिस्सेदारी ले सकेंगे।
कैसे काम करेगा छोटा�बैंक
छोटा बैंक के तहत रिजर्व बैंक ने कहा है यह जमाएं और कर्ज देने दोंनो का काम कर सकेगा। लेकिन यह केवल छोटे किसान, छोटे कारोबारी, असंगठित क्षेत्र के लोगों को बैकिंग सेवाएं देगा। इसके तहत बैंकों का एक क्षेत्र भी निर्धारित होगा। जिस क्षेत्र में ही वह अपनी सेवाएं दे सकेंगे। छोटा बैंक खोलने के लिए कम से कम 10 साल वित्तीय सेवाएं देने का अनुभव होना जरूरी होगा। मौजूदा एनबीएफसी, माइक्रोफाइनेंस संस्थाएं भी इसके लिए आवेदन कर सकेंगी। हालांकि उन्हें लाइसेंस मिलने के बाद अपने को बैंकिंग कारोबार तक सीमित रखना होगा।