हस्तांतरित होगा भाभा का बंगला
मुंबई। देश के परमाणु कार्यक्रम के प्रणोता स्वर्गीय डा. होमी भाभा के दक्षिण मुंबई स्थित बंगले को उसके खरीददार को सौंपे जाने से रोकने से बांबे हाईकोर्ट ने मंगलवार को इंकार कर दिया। हालांकि ये भी कहा कि अगर केंद्र या राज्य सरकार चाहे तो इस बंगले का अधिग्रहण कर सकती है। जनहित याचिका में 372 करोड़ में नीलाम हुए मेहरांगीर बंगले को सरकार के अधिग्रहण करने और उसे संग्रहालय बनाने की अपील की गई थी।
जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह की खंडपीठ ने ये फैसला दिया। इस बंगले की खरीददार स्मिता कृष्णा गोदरेज की वकील अस्पी चिनाय ने बताया कि उन्होंने अदालत को बताया है कि उनकी मुवक्किल इस विरासत बंगले को तोड़ेंगी नहीं और इसे निवास स्थान के रूप में ही इस्तेमाल करेंगी।
अदालत ने उनके इस बयान को दर्ज करने के बाद कहा कि संपत्ति का हस्तांतरण कानून के दायरे में ही हुआ है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि उनके इस फैसले से राय या केंद्र सरकार को इस संपत्ति का अधिग्रहण करने से नहीं रोका जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के वकील का कहना है कि सरकार मेहरांगीर बंगले का अधिग्रहण करने की योजना बना रही है। और वह इसका अधिग्रहण करके महाराष्ट्र की प्राचीन वस्तुओं का संग्रहालय और पुरातत्व संबंधी स्मारक बनाना चाहती है। हालांकि इस विषय में प्रधानमंत्री कार्यालय का जवाब आना अभी बाकी है।
केंद्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरवी देसाई ने कहा कि भाभा के बंगले को स्मारक घोषित करने के लिए वह कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इसके दो शर्तो का पालन होना आवश्यक है। इसका ऐतिहासिक महत्व होना चाहिए और इसके निर्माण के कम से कम पचास साल पूरे हो जाने चाहिए। इस मामले में दोनों ही शर्ते पूरी होती हैं।
उन्होंने अदालत को बताया कि सरकार इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देशों का इंतजार कर रही है। इसके बाद अदालत ने तीन हफ्ते में अदालत के समक्ष केंद्र सरकार को अपना जवाब हलफनामे के रूप में दाखिल करने को कहा। इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह होमी भाभा के बंगले को विरासत सूची में शामिल करने पर विचार करे।
उल्लेखनीय है कि परमाणु वैज्ञानिक डॉ. भाभा के 1966 में एक विमान हादसे में मौत के बाद उनके भाई जमशेद ने इस बंगले की देखरेख की जिम्मेदारी ले ली थी। फिर सन 2007 में जमशेद के निधन के बाद इस बंगले को नेशनल सेंटर ऑफ परफार्मिंग आर्ट्स संस्था को सौंप दिया गया था। मौजूदा जनहित याचिका भाभा एटामिक रीसर्च सेंटर (बार्क) के कर्मचारियों ने दायर की है। याचिका में कहा गया था कि डॉ. भाभा ने इस बंगले में लगभग पूरी जिंदगी बिताई थी इसलिए इसे संग्रहालय और प्रदर्शनी स्थल में तब्दील कर देना चाहिए ताकि युवाओं को उनके अभूतपूर्व योगदान से प्रेरणा मिले।