वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक और वरिष्ठ आतंकी हाफ़िज़ सईद के बीच मुलाक़ात- विनय भूषण पांडे
वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक और वरिष्ठ आतंकी हाफ़िज़ सईद के बीच मुलाक़ात सियासी मुद्दा बनती जा रही है। वैदिक का कहना है कि इसपे सियासत नहीं होनी चाहिए क्योंकि उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर और पत्रकार के तौर पर मुलाक़ात की थी।
वैसे अब तक ये किसी को साफ़ साफ़ जानकारी नहीं है कि मुलाक़ात में क्या बात हुई थी। लेकिन एक टेप मिला है जिसमें वैदिक और सईद के बीच बातचीत का पूरा ब्योरा है। पढ़िए इसके मुख्य अंश:———-
हाफ़िज़ सईद: ओ जी आओ आओ वैदिक साब, क्या हाल हैं?
वेद प्रताप वैदिक: बस जी दया है भगवान की। (आस पास के आतंकी मशीनगन उठा लेते हैं) मेरा मतलब, उपर वाले से है। खुदा से, अल्लाह से। (फिर वैदिक को बैठने कहा जाता है)
सईद: कब से इंतज़ार कर रहा था, वो मैने क़ब्ज़ की दवाई मँगवाई थी रामदेव जी वाली, वो लाए?
वैदिक: हाँ हाँ बिल्कुल लाया हूँ। आप ख़ुद ही आ कर ले जाया करो ना जब तकलीफ़ ज़्यादा हो तो।
सईद: आ तो जाऊं यार, लेकिन उस 26/11 के बाद से मेरा हिन्दुस्तान आना ख़तरनाक है ठोड़ा।
वैदिक: 26/11 से याद आया, वो जो हिन्दुस्तान ने सबूत भेजे थे, उनका क्या हुआ?
सईद: क़सम से, जिस लिफ़ाफ़े मे आप लोगों ने भेजे थे, अब तक उसी में संभाल कर रखे हैं। किसी माई के लाल को सील भी नहीं तोड़ने दी लिफ़ाफ़े की। इस बार तो कबाड़ी को भी नहीं दी आपकी फाइल हमेशा की तरह!
वैदिक: हैं? वो सबूत आपके पास पहुँच गये? आप क्या कर रहे हो उनका? वो तो सरकार और कोर्ट को मिलने हैं न?
सईद: ओ भाई, किसी को तो ये पाकिस्तान देश चलाना है ना? कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेता तो फिर सारे काम हमें ही करने पड़ते हैं। सारी फाइल हम ही देखते हैं।
वैदिक: अरे फिर तो मोदी जी की शपथ लेने वाले दिन भी आपको ही आना था, फालतू शरीफ़ को भेज दिया!
सईद: चलो कोई नहीं, फिर मिल लेंगे मोदी से। अब तो मिलना ही होगा।
वैदिक: मोदी जी पाकिस्तान आए तो आप कोई धरना प्रदर्शन तो नहीं करोगे?
सईद: वैदिक जी, धरने का स्टाइल दिल्ली वालों का है, हम तो सीधा बंदूक से धर लेते हैं! लेकिन इस बार चिंता मत करो, अपने पास आज कल लड़के ही कहाँ हैं। कुछ इराक़ मे बिज़ी हैं, कुछ कश्मीर मे, कुछ कराची मे, कुछ बलोचिस्तान मे, और कुछ तो आज कल इंटरनेट पे लगे हैं दिन रात। कोई ख़ाली बैठा होता तो धरना करवा भी देते। टेंशन ना लो, कोई प्रदर्शन नहीं होगा। आने दो उन्हे आना है तो।
वैदिक: चलो ठीक है, मैं उन्हे बता दूँगा।
सईद: वैसे मोदी जी अकेले आएँगे या बीवी के साथ?
वैदिक: अकेले ही हैं जी वो, अकेले ही आएँगे।
सईद: तभी प्रधानमंत्री बन गया, बीवी की झिकझिक नहीं थी! यहाँ तीन-तीन बीवियाँ हैं, सारा दिन दिमाग़ खा लेती हैं। बंदा ढंग से आतंकी हमले तक नहीं प्लान कर पाता!
वैदिक: स्ट्रेस रहता है तो हमारे बाबा रामदेव का योग कर के देखो। एक घंटा योग, और दिमाग़ एकदम चुस्त। फिर बनाओ जितने प्लान बनाने हैं।
सईद: ये भी ठीक है, आप लोगों का एक सेंटर ही खुलवा देते हैं यहाँ हीरा मंडी मे। योग से दिमाग़ चुस्त और हीरा मंडी मे शरीर दुरुस्त।
वैदिक: हा हा, चलिए ये भी ठीक है। अच्छा अब मुझे इजाज़त दें, लोगों को पता चला इतनी देर साथ था आपके तो कांड हो जाएगा।
सईद: चलो ठीक है, लेकिन जाने से पहले वो रिवाज़ तो पूरा कर दो!
वैदिक: (डरते डरते) कौन सा?
सईद: अर डरो नहीं! हम सेल्फी खिंचवाने की बात कर रहे हैं। आज कल हर जगह ज़रूरी हो गई है।
वैदिक: सेल्फी मे बड़ी पास पास आना होगा, ग़लतफ़हमी हो सकती है लोगों को, किसी और से ही खिंचवा लो ऐसे।
(और उस समय वो एतिहासिक तस्वीर ली गई जो उपर जो आजकल चर्चा में है )
विनय भूषण पांडे