नई दिल्ली । लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से अभूतपूर्व जीत का चमत्कार दिखाकर आधुनिक राजनीति के चाणक्य कहे जा रहे अमित शाह के हाथ अब भाजपा ने पूरा देश दे दिया है। महज एक साल पहले राष्ट्रीय महासचिव के रूप में केंद्रीय राजनीति की शुरुआत करने वाले शाह की कार्यकुशलता और संगठनात्मक क्षमता ने उन्हें पूरी पार्टी का शाह बना दिया। भाजपा की शीर्ष संस्था संसदीय बोर्ड ने सर्वसम्मति से उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। फिलहाल वह पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह के बचे हुए लगभग डेढ़ साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त हुए हैं।
शाह को इस अहम जिम्मेदारी की पटकथा तो उसी दिन लिखी जाने लगी थी जब तीन दशक का रिकार्ड तोड़ते हुए भाजपा पूर्ण बहुमत तक पहुंच गई थी। बुधवार को औपचारिक रूप से उनके हाथ संगठन की पतवार सौंप दी गई। पार्टी मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों की बैठक में राजनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दिया और शाह को अध्यक्ष बनाने पर एकराय से मुहर लगा दी गई। राजनाथ ने इसकी घोषणा करते हुए यह आशा भी जता दी कि शाह पार्टी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। शाह ने भी पूरी विनम्रता और आभार के साथ नई जिम्मेदारी ले ली। मोदी और राजनाथ केप्रति उनका आभार इस एलान के लिए बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में छलकता नजर आया भी। इस आयोजन से फुरसत होने के बाद उन्होंने सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के घर जाकर उनका आशीर्वाद लिया।
कार्यकुशलता का संघ भी मुरीद
मुख्यत: संगठन के ही आदमी माने जाने वाले शाह ने उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव के तौर पर अपनी कार्यकुशलता का जो जौहर दिखाया था उसका पार्टी ही नहीं संघ भी मुरीद था। उन्होंने प्रदेश की 80 में से 73 सीटों पर जीत दर्ज कराकर ऐसा इतिहास रचा जो शायद कभी न टूटे। यही कारण है कि राजनाथ के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद शुरू हुई चर्चा में हर स्तर पर शाह के नाम का समर्थन था। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से लेकर मुख्यमंत्री तक और कार्यकर्ता से लेकर संघ के नेता तक।
सबसे युवा अध्यक्ष
पचास वर्षीय शाह भाजपा के अब तक के सबसे युवा अध्यक्ष हैं। उनकी नियुक्ति के साथ ही पार्टी ने यह भी जता दिया कि पुरानी गलती से सबक ले लिया गया है। गौरतलब है कि 1999 में वाजपेयी सरकार के गठन के बाद जब सभी वरिष्ठ नेता सरकार में थे तो संगठन अपेक्षाकृत कमजोर हाथों में था। आगामी चुनौतियों को देखते हुए इस बार कमान ऐसे व्यक्ति के हाथ में दी गई है जिसने संगठनात्मक क्षमता साबित कर दी है।
प्रधानमंत्री के खास शाह की ताजपोशी के साथ ही जहां सरकार और संगठन के बीच तालमेल और गहरा होगा वहीं यह संकेत भी मिलने लगे हैं कि लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले संघ के साथ भी सामंजस्य बढ़ेगा।