आगरा। ताज महल देखने आने वाले विदेशी सैलानियों को डिस्पेंसर मशीन से शू-कवर पहनाया जाएगा। इससे पहले यह काम एएसआई कर्मचारियों को करना पड़ता था। लोगों की सुविधा के अनुसार इस मशीन को डिजाइन किया गया है।
ताजमहल में सैलानियों को चमेली फर्श और मुख्य मकबरे पर जाने से पहले शू-कवर पहनने होते हैं। विदेशी सैलानियों को तो टिकट के साथ नि:शुल्क शू-कवर मिलते हैं। मगर भारतीय सैलानियों को शू-कवर नहीं मिलते हैं। उन्हें या तो ताज के बाहर शू-कवर खरीदने पड़ते हैं या फिर नंगे पैर ही मुख्य मकबरे पर जाना होता है। ताज में विदेशी सैलानियों को अब तक एएसआइ के कर्मचारी शू-कवर हाथों से पहनाते हैं। इससे ताज में देसी सैलानियों में हीन भावना पनपती है। लेकिन, इसका अब अंत हो गया है। मंगलवार को कमिश्नर प्रदीप भटनागर ने ताज में दो ओटी-72 शू-कवर डिस्पेंसर मशीन का उद्घाटन किया। चीन से मंगाई इस मशीन में एक बार 100 सैलानियों के लिए शू-कवर स्टोर किए जा सकेंगे। ताज में दो मशीनों के अलावा तीसरी मशीन शिल्पग्राम में लगाई गई है। मशीन की कीमत 50 हजार रुपये से अधिक है। मशीन में चीन में बने शू-कवर ही यूज किए जा सकेंगे।
स्मारक में पहली बार लगी मशीन
एएसआइ द्वारा देश में संरक्षित स्मारकों में से ताज पहला है, जहां शू-कवर डिस्पेंसर मशीन लगाई गई है। अक्षरधाम मंदिर के अलावा देश के बड़े अस्पतालों में यह मशीनें लगी हैं।