नई दिल्ली। मोदी सरकार के पहले आम बजट से मध्यवर्गीय परिवार के लोगों को आयकर छूट की सीमा बढ़ाए जाने को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली से काफी उम्मीदें थी। जेटली ने आयकर में छूट की सीमा को दो लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर दिया लेकिन उन्होंने कहा है कि वह करदाताओं को और अधिक छूट देना चाहते थे उन्हें ऐसा नहीं कर पाने का अफसोस है। एक हिंदी समाचार चैनल के साथ बातचीत में अरुण जेटली ने यह बातें कही।
जेटली ने कहा कि टैक्स स्लैब में मन मुताबिक छूट नहीं दे पाने का उन्हें अफसोस है। काश मुझे बेहतर विरासत मिली होती है तो करदाताओं को 50 हजार रुपये से ज्यादा की छूट देता। जेटली ने कहा कि आजादी के बाद यह पहला मौका है जब किसी वित्त मंत्री ने एक बार में टैक्स स्लैब में 50 हजार रुपये की छूट दी है। इसके अलावा मैंने 80 सी के जरिए किए जाने वाली बचत पर 50 हजार रुपये की छूट दी। मैंने हाउसिंग लोन पर भी 50 हजार रुपये की छूट दी है। इस तरह से तीन श्रेणी में 50-50 हजार रुपये की छूट दी। इस फैसले का असर करोड़ों लोगों पर होगा। इन छूटों से 5 से 45 हजार तक की बचत होगी, जिसका फायदा करोड़ों लोगों को होगा। मुझे खेद सिर्फ एक बात का है कि अगर मुझे बेहतर विरासत मिली होती तो इस दिशा में और बड़ा फैसला कर पाता।
महंगाई और देश में सूखे की संभावना के सवाल पर उन्होंने कहा, कि सप्लाई का प्रत्यक्ष असर महंगाई पर पड़ता है। आयात किए जाने वाले तेल की भूमिका रहती है। पिछले साल नवंबर-दिसंबर में प्याज के दाम 80-90 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए थे पर सरकार इसे कम करने में विफल रही। वहीं हमारी सरकार के दौरान प्याज 18 से बढ़कर 25 रुपये प्रति किलो ही हुआ था कि हमने कार्रवाई की।
सूखे को भी लेकर हमने योजना बना रखी है। फिलहाल इस प्लान को सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं है। अगस्त तक अगर बारिश अच्छी हो जाती है तो सूखा नहीं पड़ेगा। मध्य-पूर्व एशिया में भी स्थिति सुधरी है, तेल की कीमतों में गिरावट आई है. इसका असर धीरे-धीरे पड़ेगा।
अरुण जेटली ने कहा कि लोगों के अच्छे दिन तब आएंगे जब देश के अच्छे दिन आएंगे। यूपीए सरकार ने अर्थव्यवस्था को खराब स्थिति में पहुंचा दिया है।