नई दिल्ली। सरकार की ओर से वित्तीय समावेश पर लगातार जोर देने के बाद भी भारत की स्थिति में खास सुधार नहीं है। एक अध्ययन के मुताबिक अब भी महज 47 फीसद लोगों के पास बैंक खाते हैं। इनमें भी करीब आधे खाते निष्क्रिय हैं।
बिल एंड मिलिंडा गेट्स (बीएमजी) फाउंडेशन के सहयोग से एक अध्ययन में कहा गया कि सक्रिय वित्तीय (बैंक या मोबाइल मनी) खातों के मामले में महिलाएं बहुत पीछे हैं। सिर्फ 18 फीसद महिलाओं के पास सक्रिय वित्तीय खाते हैं। अध्ययन के अनुसार, इसका सबसे बड़ा कारण अब भी भारत में मोबाइल बैंकिंग और अन्य डिजिटल वित्तीय सेवाओं का ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाना है। बीएमजी फाउंडेशन के भारतीय कार्यालय के अनुसार देश में औपचारिक वित्तीय सेवाओं की मांग है, लेकिन वर्तमान व्यवस्था में लोगों को उनकी जरूरत और मन के मुताबिक सेवाएं मुहैया नहीं कराई जा सकी हैं। मोबाइल मनी को लेकर भी लोग जागरूक नहीं हैं। नकद के ऊपर लोगों की बड़ी निर्भरता की एक वजह यह भी है कि यहां 90 फीसद से ज्यादा लोगों को उनका वेतन या भुगतान नकद में ही मिलता है। कर्ज के मामले में भी लोग अपने नजदीकी और जानकार के पास जाना पसंद करते हैं।