नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले चार मार्च से तिहाड़ जेल में बंद सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय की रिहाई के लिए पांच हजार करोड़ रुपये नकद और इतनी ही राशि की बैंक गारंटी देने के आदेश में सुधार के लिए दायर याचिका बुधवार को खारिज कर दी। राय को अभी जेल में ही रहना पड़ेगा। कोर्ट ने राय के उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने तिहाड़ जेल के बदले स्वयं के खर्च पर घर पर नजरबंदी की मांग की थी।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राय को थोड़ी राहत देते हुए भारत में स्थित 9 संपत्तियों को बेचने की अनुमति दी है। साथ हीं पैसे की निकासी के लिए खातों पर लगी रोक को हटा दिया है।
इस बीच, सुब्रत राय ने अपनी मां की बीमारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट से पांच दिन की पेरोल पर छोड़ने की इजाजत भी मांगी। इसपर कोर्ट ने राय को उपयुक्त तरीके से आवेदन देने की बात कही।
इससे पहले, न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की खंडपीठ ने सुब्रत राय की रिहाई के लिये नई याचिका पर 29 मई को सहारा समूह और बाजार नियामक सेबी के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद कहा था कि इस पर आदेश बाद में सुनाया जायेगा। इस बीच, न्यायालय ने सहारा समूह को विदेशों में स्थित अपने तीन होटलों की भागीदारी बेच कर धन की व्यवस्था करने के लिए देनदार बैंक ऑफ चाइना से संपर्क करने की अनुमति भी दे दी थी।
सहारा ने अपने नई प्रस्ताव में कहा है कि वह तीन हजार करोड़ रुपये पांच दिन के भीतर और इसके बाद दो हजार करोड़ रुपये अगले 30 दिन में जमा करायेगा। समूह ने कहा है कि लंदन स्थित एक होटल और न्यूयार्क स्थित दो होटलों में अपनी भागीदारी बेचने के बाद 60 दिन के भीतर शेष पांच हजार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी दे देगा।
न्यायालय ने कहा था कि सहारा समूह बैंक ऑफ चाइना से पत्र व्यवहार करेगा जिसने विदेशों में होटलों में भागीदारी खरीदने के लिए धन उपलब्ध कराया था। सहारा को इस पत्र व्यवहार के बारे में एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश न्यायालय ने दिया था। न्यायालय ने यह भी कहा था कि वह सहारा समूह को धन की व्यवस्था करने के लिये भारत में नौ संपत्तियों की बिक्री और एंबी वैली में कुछ संपत्तियां गिरवी रखने की भी अनुमति दे रहा है।