नक्सल समस्या को अब ”वाम आतंकवाद” कहने और इसे आतंकी घटना मान नियंत्रण में करने का समय आ गया है। शहर से लेकर जंगलों तक इन आतंकिओं ,इनके स्लीपर सेल , बौद्धिक सेना , देसी विदेशी फंडरों की पहचान कर काबू करिए।
जमीनी लोक संघर्ष के नाम पर वैचारिक सिंचाई के पानी से सींची जा रही इनके अमानवीय आतंकी गतिविधिओं को इसी रूप में लिए जाने की जरुरत है ताकि इनके झंडे को ढोने और इनके हाथों दमन को मजबूर आम आदिवासी .. लोक .. देश के साथ मुख्यधारा में शामिल हो देश की चाल चल सके।
अविनाश शर्मा