नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज संभालने के पहले दिन से ही अनुच्छेद 370 पर भीषण घमासान छिड़ गया है। गुलाम नबी आजाद को हराकर पहली बार मंत्री बने डा. जितेंद्र सिंह के बयान के बाद तो रियासत की सियासत में भूचाल सा आ गया है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तो ट्वीट कर यहां तक कह दिया कि अगर 370 को हटाया जाता है तो फिर कश्मीर भी भारत का हिस्सा नहीं रहेगा। पीडीपी अध्यक्ष और सांसद महबूबा मुफ्ती ने मंत्री के बयान को बेहद गैर जिम्मेदाराना बताते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय से इस बयान पर स्पष्टीकरण देने की मांग की है।
हालांकि देर शाम जितेंद्र सिंह ने कहा कि उनके बयान को तोड-मरोड़ कर पेश किया गया।उमर अब्दुल्ला ने बहुत ही तल्ख लहजे में ट्विटर पर लिखा है कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर और शेष भारत के बीच एकमात्र संवैधानिक कड़ी है। इसे हटाने पर विचार करना गैर जिम्मेदार और बीमार सोच का प्रतीक है। 370 के बिना कश्मीर भी भारत का हिस्सा नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री ने पीडीपी पर तंज करते हुए कहा कि वह इस बारे में क्यों उत्तेजित हो रही है। उसने तो रियासत में भाजपा का लाभ पहुंचाने के लिए मौन समझौते के तहत काम किया।
घमासान की शुरूआत तब हुई जब जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार अनुच्छेद 370 पर खुली बहस को तैयार है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि ‘विरोध करने वालों’ को ‘मनाने’ के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जाएंगे। मोदी जी की और सरकार की इच्छा है कि इस संबंध में खुली चर्चा कर विरोध करने वाले लोगों को इसके नुकसान के बारे में बता कर मनाया जाए। जब तक इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होगी, तब तक आप उन लोगों को कैसे समझा पाएंगे कि अनुच्छेद 370 की वजह से उन्हें क्या नुकसान उठाना पड़ रहा है।’
जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को राज्यमंत्री के रूप में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के इंचार्ज के रूप में काम संभाल लिया है। सीबीआई पर प्रशासनिक नियंत्रण यही विभाग रखता है।