मुंबई। ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’ ये उम्मीद तो अच्छी है, मगर अच्छे दिन नहीं आए तो क्या होगा। शेयर बाजार में तूफानी तेजी के बीच यह सवाल आर्थिक जानकारों को बेचैन कर रहा है। भारतीय बाजार को पूरा भरोसा है कि चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले मौजूदा विपक्षी गठबंधन यानी राजग को निर्णायक जीत हासिल होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो शेयर बाजार में पिछले कुछ सालों की सबसे बड़ी गिरावट आ सकती है।
सर्वेक्षणों में भाजपा को जीत हासिल होने के संकेतों के चलते शुक्रवार को शेयर बाजार जोरदार तेजी के साथ रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले कारोबार के लिए ज्यादा अनुकूल माना जाता है। जानकारों के मुताबिक पिछले चुनाव परिणामों का इतिहास निवेशकों को सतर्क करने के लिए काफी है। वर्ष 2004 और 2009 के आम चुनावों में ओपीनियन पोल बुरी तरह से गलत साबित हुए थे। निवेशकों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी।
पिछले साल सितंबर में नरेंद्र मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से एनएसई के प्रमुख सूचकांक निफ्टी में अब तक 17 फीसद की तेजी आ चुकी है। जापान को छोड़कर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सभी शेयर बाजारों में इस दौरान महज चार फीसद की वृद्धि हुई है।
बड़ी गिरावट की आशंका
विश्लेषकों का कहना है कि यदि भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा और मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन सके तो शेयर बाजार एक ही दिन में आठ से 10 फीसद तक लुढ़क सकता है। इसके बाद भी गिरावट जारी रहेगी और कुल 20 फीसद की गिरावट आ सकती है। वर्ष 2004 में भी निवेशकों को तगड़ा झटका लगा था, जब उम्मीद के विपरीत भाजपा चुनाव नहीं जीत सकी थी। नतीजों की घोषणा के बाद निफ्टी एक ही दिन में 12.2 फीसद लुढ़क गया था। दो दिनों में कुल 19 फीसद की गिरावट आई थी।
निवेश बैंक इओस कैपिटल एडवाइजर्स की एमडी रितु जैन ने कहा कि भारतीय शेयर बाजार की मौजूदा तेजी चुनाव में एनडीए को बहुमत मिलने या बहुमत के करीब रहने की उम्मीद पर आधारित है। यदि राजग सत्ता में नहीं आया तो बाजार में करीब 15 फीसद या इससे ज्यादा की गिरावट आ सकती है।
लड़खड़ा सकता है रुपया
जानकारों की मानें तो शेयर बाजार के अलावा रुपये के कारोबार में भी निवेशकों को चौंकाने वाली स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। विदेशी मुद्रा बाजार में भी ऐसी स्थिति की आशंका इसलिए भी बनी है, क्योंकि हाल ही में रुपया डॉलर के मुकाबले खासा मजबूत हुआ है।
उठाए गए एहतियाती कदम
इसके चलते बाजार में अब कुछ एहतियाती कदम भी उठाए जा रहे हैं। कम से कम चार ब्रोकरेज फर्मों ने ग्राहकों से अतिरिक्त मार्जिन जमा कराया है। फर्मो का मानना है कि 16 मई को चुनाव परिणाम घोषित होने पर बाजार में भारी उथल-पुथल की स्थिति भी बन सकती है। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने एक्सचेंजों को अपने ट्रेडिंग सिस्टम की जांच करने को कहा है। नियामक ने खासतौर पर बाजार में भारी उठापटक से निपटने के लिए पिछले साल लगाए गए नए तंत्र की जांच पर जोर दिया है। हालांकि सेबी ने इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।