असम पुलिस के अनुसार राज्य के दो पश्चिमी ज़िलों में अलग-अलग घटनाओं में विद्रोहियों ने दस ग्रामीणों की हत्या कर दी। जान गंवाने वाले सभी लोग एक ही संप्रदाय से ताल्लुक़ रखते थे।
पुलिस के मुताबिक़ ये हत्याएं गुरुवार शाम को संदिग्ध बोडो विद्रोहियों ने की। मरने वालों में छह महिलाएं और दो बच्चे हैं। चार लोग जख्मी हैं और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
बोडोलैंड क्षेत्र के पुलिस महानिदेशक एल आर बिश्नोई ने बीबीसी को बताया, ”दो अलग-अलग हमलों में दस लोग मारे गए हैं। पहली घटना बक्सा ज़िले में हुई, जहां विद्रोहियों ने तीन लोगों की जान ले ली और एक को घायल कर दिया। कोकराझार में हुई दूसरी घटना में सात लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई।”
पहली घटना बक्सा में नेशनल पार्क के क़रीब नरसिंह गांव में हुई, जबकि दूसरी कोकराझार के सपूतग्राम के बालापारा में आधी रात को हुई। बीती रात कोकराझार कस्बे में संदिग्ध विद्रोहियों ने एक पत्रकार की पिटाई भी की।
पुलिस महानिदेशक बिश्नोई कहते हैं कि इन हत्याओं के लिए नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ़ बोडोलैंड (एनडीएफबी) का संगबिजित गुट ज़िम्मेदार है।
ये पहला मौक़ा है जब बोडोलैंड इलाक़े की 70 फ़ीसदी आबादी वाले ग़ैर बोडो समुदायों ने एक ग़ैर बोडो उम्मीदवार उल्फा के पूर्व कमांडर हीरा शारानिया को चुनाव मैदान में उतारा है।
चुनावों से पहले बहुत से मुसलमान मतदाताओं ने बीबीसी से कहा था कि वो शारानिया को वोट करेंगे। हालांकि उन्हें बोडो संगठनों से लगातार मिल रही धमकियां का डर भी था।
कुछ मुसलमानों का कहना था कि अगर उन्हें सुरक्षित रहना है तो वे बोडो के ख़िलाफ़ वोटिंग का ख़तरा मोल नहीं ले सकते। हालांकि पुलिस महानिदेशक ने इन हत्याओं और चुनाव के बीच किसी संबंध से इनकार किया है। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने बीबीसी से कहा कि इलाक़े के ज्यादातर हथियार जमा कराए जा चुके हैं।