सोमवार को देश-दुनिया के लोग नई दिल्ली में नरेंद्र मोदी की ताजपोशी के गवाह बने लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार प्रोजेक्ट करने वाले बाबा रामदेव आश्चर्यजनक रूप से समारोह से गायब रहे।
बताया गया है कि बाबा ने सुबह की मौन धारण कर लिया और अज्ञातवास में चले गए। पतंजलि से जुड़े सूत्र बताते हैं कि मोदी से नाराजगी के चलते बाबा ने यह कदम उठाया है लेकिन इसकी पुष्टि करने वाला कोई नहीं है।
वैसे पतंजलि स्थित बाबा की कुटिया के आसपास किसी को फटकने नहीं दिया जा रहा है। अलबत्ता, पतंजलि के महामंत्री बालकृष्ण की अगुवाई में 40 सदस्यीय दल शपथग्रहण समारोह में शामिल हुआ
बताया गया है कि मौन के साथ अज्ञातवास के चलते उनकी तलाश पतंजलि योगपीठ की दोनों शाखाओं, दिव्य योग मंदिर तथा योगग्राम में दिनभर होती रही। बताया गया कि बाबा कहीं नहीं दिखे।वैसे सूत्र बताते हैं कि बाबा मोदी से नाराज हैं। मोदी की 16 मई को हुई जीत के बाद बाबा ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में विशाल स्वागत समारोह आयोजित किया था।
भाजपा के कई वरिष्ठ नेता वहां गये, पर मोदी नहीं गए। 19 मई को राजघाट होते हुए बाबा रोड शो करते हरिद्वार पहुंचे। उसके बाद से मोदी की ओर से बाबा से कोई निजी संपर्क स्थापित नहीं किया गया।
यह भी बताया गया है कि बाबा ने कुछ सांसदों के लिये मंत्री पद चाहा था लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। परिणामस्वरूप बाबा दिल्ली जाने के बजाय अज्ञातवास पर चले गये।नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की जीत की खुशी में 16 मई को बाबा के सभी प्रतिष्ठानों में जश्न मनाया गया था। ढोल-नगाड़ों के साथ बैंड-बाजे भी बजाये गये। जिस दिन बाबा नौ महीने बाद दिल्ली से लौटे, उस दिन भी खूब जश्न मना।
पतंजलि से जुड़े कई कार्यकर्ताओं ने मोदी के मुखौटे भी लगाए लेकिन सोमवार को नजारा दूसरा था। हर जगह सन्नाटा पसरा था।
योग ग्राम और पतंजलि योगपीठ में तो ऐसा लग रहा था मानो रविवार का अवकाश हो। पतंजलि परिवार का कोई भी पदाधिकारी बाबा के बारे में मुंह खोलने से इंकार करता रहा।