बदायूं में दो किशोरियों के साथ गैंगरेप के बाद फांसी पर लटकाने के मामले में दिल्ली से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मचा हुआ है। राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग की टीम ने घटनास्थल का मौका-मुआयना कर पीड़ित पक्ष के बयान दर्ज किए। पीड़ित पक्ष ने सीबीआई जांच की मांग उठाई।
उनका आरोप था कि पुलिस बयान बदलने के लिए दवाब डाल रही है। लिहाजा पुलिस की जांच पर उन्हें भरोसा नहीं है। आयोग की टीम ने इसे जघन्यतम अपराध बताते हुए पुलिस को सबसे ज्यादा दोषी माना। कहा, अगर पुलिस इसे गंभीरता से लेती तो दोनों लड़कियां आज जिंदा होतीं।
फिलहाल नामजद हेड कांस्टेबल छत्रपाल और सिपाही सर्वेश यादव को बर्खास्त कर दिया गया है। एक सिपाही और दो हत्या अभियुक्तों को जेल भेज दिया गया है। इस बीच हेड कांस्टेबल छत्रपाल भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
लखनऊ में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डीजीपी सहित पुलिस अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। प्रभावित परिवार को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने व उन्हें पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं।
घटना के तीसरे दिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को पुलिस महानिदेशक एएल बनर्जी सहित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जनपद बदायूं की इस घटना की समीक्षा की। उन्होंने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कि कहा प्रकरण में जो लोग अभी गिरफ्तार नहीं हुए हैं उन्हें विशेष टीम गठित कर तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
उन्होंने कहा कि इस घटना को एक नजीर मानते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाकर दोषियों को जल्द सजा दिलाई जाएगी ताकि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों। लापरवाह पुलिस कर्मियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
शबाना ने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग को महिलाओं पर जुल्म-ज्यादती के जितने मामले मिलते हैं, उनमें से पचास फीसदी उत्तर प्रदेश के होते हैं। इससे साफ है कि यहां महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। राज्य महिला आयोग की टीम ने ठोस कार्रवाई की बात कही। राज्यमंत्री जानकी पाल के नेतृत्व में आई टीम ने दावा किया कि कानूनी प्रक्रिया के तहत दोषियों पर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।