
धारा 370 पर महान मानवाधिकारवादी चिंतन और खुली / विस्तृत बहस के शौकीन आर्टिकल .. 370 पर खुली / बड़ी बहस की गुंजाईश पर धारा 144 लगाने पर क्यों आमादा हो जाते हैं !!
प्रधानमंत्री जी ने चुनावों के दौरान 370 की उपयोगिता के साथ इसके मूल्यांकन की बात बार – बार कही जनता के बीच .. और जनादेश के विश्वास पर आयी सरकार को इस पर देशव्यापी सार्थक बहस कराने का पूरा नैतिक / संवैधानिक आधार / अधिकार है …. और इस पर बात जरुरी भी है।
कश्मीर भारत के साथ कैसे और किस आधार पर जुड़ा है / रह सकता है … इसकी नयी परिभाषा गढ़ने की उम्र नहीं है अभी उमर अब्दुल्ला साहेब की .. जो ये समझा रहे हैं की एक इसी प्रोविजन के चलते जम्मू कश्मीर भारत के साथ है .. अगर 370 नहीं तो कश्मीर भारत के साथ नहीं।
सदरे रियासत J&K .. अब्दुल्ला साहेब .. आपकी कुर्सी के नीचे की रियासत भारत का अभिभाज्य अंग है .. जो किसी आर्टिकल का मोहताज नहीं .. इस पर खुली बात का खुले मन से स्वागत करिये .. देश को समझने दें .. एक रात में यह ख़त्म नहीं कर दिया जाने वाला .. लेकिन दिनों / रातों की चर्चा के बाद वाजिब होने पर … इसके ख़त्म हो जाने से ऐसा क्या है जो आपका धीरज ख़त्म किये दे रहा है !!
अवनीश शर्मा