जिस ट्रेन को दो घंटे पहले बनारस पहुँच जाना चाहिए था अभी बनारस से तीन घंटे दूर है.नेट पर समाचार दिख रहा है की चीन 13 हज़ार किलोमीटर लम्बी रेल परियोजना की प्लानिंग कर रहा है जो समुद्र के अंदर अमेरिका तक जायेगी.मेरी ट्रेन में कुछ बोगियाँ केवल जवानों के लिए आरक्षित हैं जो चुनाव कराने बनारस चल रहे हैं.उनके एक अफसर हम लोगों के साथ हैं,चुपचाप.बोगी में चर्चा है की मोदी के आते ही सब कुछ ठीक हो जायेगा,मुसलमानों के लिए भी किसी स्पेशल प्लान की बात हो रही है,मेरे बगल में बैठे ONGC के एक अफसर जो मुसलमान हैं, शांत हैं…..तभी एक जवान अपने साहब के लिए नाश्ते का पैकेट लेकर आता है,काम्बैट (चितकबरी वर्दी) में लदे जवानों की बोगियाँ कितनी तप रही हैं इसका आभास एसी वालों को नहीं हो सकता.साहब जवान से पूछते हैं — कोई दिक्कत ? जवान उचक कर बोलता है — नहीं सर,जय हिंद करके वापस मुड़ता है.उसकी नेम प्लेट पर लिखा है — गुलाम मुर्तजा……अगल बगल के लोग अब शांत हैं,मैं भी निश्चिंत हूँ.आप भी रहिये.