बीजेपी को कौन देता है इतना पैसा?

bjp-manifestoअखबार के पहले पन्ने पर मुस्कुराती तस्वीरें, एफएम रेडियो पर गूंजती आवाज, समर्थन की अपील करते एसएमएस, सोशल मीडिया पर विज्ञापन, टीवी चैनलों पर जिंगल्स, चुनावी जनसभाएं, रैलियां, और रोड शो, इन दिनों नरेंद्र मोदी यों दिख रहें हैं मानो लोकतंत्र के महापर्व के महानायक वही हैं।

नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार का ये तानाबाना कैसे बुना है? देश के कोने-कोने तक पहुंचने के लिए भाजपा दोनों हाथों से पैसा खर्च कर रही है। केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने आरोप लगाया है कि भाजपा और नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान पर लगभग 10 हजार करोड़ खर्च किया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक ये राशि दो हजार करोड़ के आसपास मानते हैं।

राजनीतिक पार्टियां चंदे के बूते चुनाव लड़ती हैं। चंदे के बल पर हजारों करोड़ खर्च कर पाना, चौंका देता है। ये सवाल उठने लगता है कि चंदों का श्रोत क्या है? भले ही ये खर्च अनुमानित हों, लेकिन ये पिछले चुनाव से कई गुना ज्यादा है। ऐसे में पूछा जाना लाजिमी है कि ये पैसे कौन दे रहा है?

पिछले चुनाव तक रैलियां, चुनावी जनसभाएं, अखबारों-टीवी चैनलों में विज्ञापन, बैनर, पोस्टर, हैंडबिल ही चुनाव प्रचार का जरिया थे। इन चुनावों में सोशल मीडिया प्रचार का अहम माध्यम बन कर उभरा है। एफएम चैनलों और एसएमएस के जरिए भी प्रचार किया जा रहा है।

चुनाव प्रचार के माध्यमों का जैसा विस्तार हुआ है, उससे खर्च भी बढ़ा होगा, ये अंदाजा तो आसानी से लगाया जा सकता है। पिछले चुनावों में राजनी‌तिक दलों की जितना खर्च किया था, इस बार ये राशि उससे कई गुना अधिक रह सकती है।

2009 लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो भाजपा ने 448.66 करोड़ खर्च किए थे। राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग को खर्च की जो सूची सौंपी थी, भाजपा उसमें शीर्ष पर थी।

पिछले चुनाव में कांग्रेस खर्च के मामले में दूसरे पायदान पर थी। चुनाव आयोग को पार्टी ने जो ब्योरा दिया, उसके मुताबिक 2009 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 380.04 करोड़ खर्च किए थे। भाजपा के खर्च से ये र‌ाशि 68.62 करोड़ कम थी।

कम खर्च के बाद भी कांग्रेस वो चुनाव जीतने में कामयाब रही थी। भाजपा के कुल खर्च में केंद्रीय स्तर पर 162.68 करोड़ रुपए दिए गए, जबकि 285.98 करोड़ रुपए राज्य इकाइयों ने जुटाए।

राजनीतिक दलों ने ये पैसा चंदे के बूते इकट‍्ठा किया था। हालांकि चंदों के श्रोत भी कम दिलचस्प न था। राजनीतिक दलों ने अधिकांश पैसा नगद लिया था। ऐसे में इन पैसों कितना काला धन रहा होगा, ये कहना मुश्किल है।

राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग को जो रिपोर्ट दी, उसके मुताबिक, पिछले चुनावों में कांग्रेस मात्र 24 फीसदी चंदा ही चेक और डिमांड ड्राफ्ट से मिला था। शेष राशि कैश मिली थी।

पारदर्शिता के मामले में पिछले चुनावों में बीजेपी का आंकड़ा कांग्रेस से बेहतर था। बीजेपी 49 फीसदी चंदा चेक और डिमांड ड्राफ्ट के जरिए ‌लिया था। लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस को 313.74 करोड़ चंदा मिला था, जिसमें से कांग्रेस ने 237.36 करोड़ कैश लिया था, मात्र 76.38 करोड़ ही चेक और डिमांड ड्राफ्ट से वसूला गया था।

जबकि इसी समयावधि में भाजपा ने 478.61 करोड़ चेक से वसूले थे, जबकि शेष 239.73 करोड़ कैश्‍ा लिए गए थे।