कनवानी गांव में सोमवार को हुए खूनी संघर्ष और रामकिशन इंस्टीट्यूट में एक पक्ष द्वारा दिखाई गई दबंगई के बाद से स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे खौफ के साए में हैं।
कनावनी गांव में रहने वाले ऐसे ही 30 बच्चों ने मंगलवार को अपनी परीक्षा तक छोड़ दी। पता चला है कि खौफजदा पैरेंट्स ने अपने बच्चों को रिश्तेदारों के घर भेज दिया है। स्कूल प्रबंधन ने अब कनावनी गांव के बच्चों की परीक्षा बाद में लेने का निर्णय लिया है।
मंगलवार को स्कूल गेट पर पीसीआर तैनात रही। डर के मारे कनावनी गांव से कोई भी बच्चा परीक्षा देने नहीं आया। स्कूल प्रबंधन ने बच्चों की सुरक्षा के लिए गेट पर दो सीसीटीवी लगाने के साथ ही बाउंड्री पर कंटीले तारों का फेंसिंग कराने और सिक्योरिटी गार्ड बढ़ाने का निर्णय लिया है। टीएचए के कई अन्य स्कूल प्रबंधकों ने भी इस घटना से सबक लेते हुए सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए जाने की बात कही है।
स्कूल प्रिंसिपल डा. नमिता शर्मा ने बताया कि अभिभावकों को बच्चों की सुरक्षा का पूरा भरोसा दिलाया गया है। कनावनी गांव से आने वाले करीब 30 छात्र अनुपस्थित रहे। इनकी परीक्षाएं बाद में ली जाएंगी।
बच्चे बोले, स्कूल आने में लग रहा था डर
लोगों के चिल्लाने और पत्थर फेंकने की घटना भूली नहीं है। स्कूल आने में डर लग रहा था।-निधि भारद्वाज
कनावनी के मित्रों से बात हुई, सभी ने स्कूल आने से मना किया, मैं परीक्षा की वजह से आई हूं।-महिमा यादव
दोस्तों से बात करने के बाद ही स्कूल आने का निर्णय लिया, लेकिन अब भी डर लग रहा है।-नविका कौशिक
घटना के बाद से डर लग रहा है। घर पर मम्मी-पापा ने भी पूरी जानकारी ली। परीक्षा थी इसलिए आना पड़ा।-लवदीप
बोले अभिभावक
बच्चों को स्कूल तो भेज रहे थे मगर डर था कि कहीं फिर से तो घटना नहीं होगी। भीड़ का कोई भरोसा थोड़े ही होता है। बच्चों की सलामती के लिए दिन में दो बार क्लास टीचर से बात की।-रश्मि, अभिभावक
स्कूल में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। इस तरह की घटना से बच्चों में खौफ घर करता है, छोटे बच्चों को तो और भी डर घर करेगा।-सोनल, अभिभावक