जहाँ तक अयोध्या में विवादित ढाचे के ढहने का सवाल है इसपर लिब्रहान कमीशन खोज बिन कर चुका है , उच्च न्यायलय में भी बहस के दौरान तथ्यो पर प्रकाश डाला जा चूका है। कोबरा सनसनी फैलाकर सिर्फ दूकानदारी कर रहा है। उस ढांचे का ढहना केंद्र सरकार की नीतियो और ‘सेकुलर’ बुद्धिजीवियो के स्व- प्रमाणित बौद्धिकता से उत्पन्न जन -आक्रोश का परिणाम था। उस जन सैलाब , जन उत्साह और प्रतिबद्धता को जिन्होंने देखा है वे दिग्भ्रमित नहीं हो सकते हैं .एक और महत्व्पूर्ण सवाल है इस सन्दर्भ में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व नरसिम्हा राव का स्टिंग कौन करेगा ? ऐसे ढांचे के ढहने पर किसी राष्ट्रवादी को अपराध बोध नहीं होना चाहिए।
राकेश सिन्हा