सोशल मीडिया: कहीं केजरीवाल पर सहानुभूति कहीं कहा भगोड़ा

delhi-assembly-highvoltage-drama-दिल्ली समेत देशवासियों को भ्रष्टाचार मुक्त शासन का सपना दिखाने वाले अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के साथ ही आम से लेकर खास सब हैरान हैं। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण ’करार दिया है।

ट्विटर पर ‘आप ’ के संजय सिंह लिखते है कि ‘अब दिल्ली की जनता विधानसभा में अपने 70 सेवक भेजेगी और एक भी वोट जनलोकपाल के खिलाफ नहीं पड़ेगा’।

वहीं योगेंद्र यादव ने पोस्ट किया है कि ‘देश के इतिहास में पहली बार सिद्धांत पर कोई मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया।’ हालांकि कांग्रेस के अजय माकन इससे इत्तेफाक नहीं रखते हुए लिखते हैं ‘ऐसा कभी नहीं लगा कि केजरीवाल और उनके मंत्री शासन चलाने के लिए संजीदा व वचनबद्ध थे’।

अभिनेता अनुपम खेर लिखते हैं कि मुझे दिल्लीवासियों के लिए बेहद दुख हो रहा है। फेसबुक पर विशाल लिखते हैं कि कांग्रेस और बीजेपी से सीधा सवाल है कि यदि वे भ्रष्ट नहीं थी तो फिर जनलोकपाल बिल को रोकने का क्या मतलब था।वहीं रिंपी लिखती है कि आम आदमी पार्टी ने इस्तीफा देकर सराहनीय काम किया है, जिस पर जनता स्नेह समेत याद रखेगी तो नीति कहती हैं कि आम आदमी पार्टी अब देश को इंसाफ दिलाने प्रधानमंत्री बनकर आएंगे।

मनीषा शर्मा ने लिखा कि दिल्ली समेत देशवासियों को भ्रष्टाचार मुक्त व सुशासन समेत स्वर्णिम भारत का सपना दिखाने वाले केजरीवाल के इस्तीफे ने हमारे दिलों को तोड़ दिया है। जनता भ्रष्टाचार से लड़ने की हिम्मत जुटा रही थी, जो टूट गई।

योगेश गर्ग ने  लिखा कि वास्तव में भगौड़ा किसे कहा जाये ? उनको जिनकी 28 सीट थी जिनहोने तमाम विरोधो के बाद भी सरकार चलाने की कोशिश तो की या उनको जिनकी 32 सीट थी फिर भी सरकार नहीं बनाना चाहते थे ? दिल्ली विधानसभा के कार्यवाहियों में जब कांग्रेस -भाजपा एक सुर में बोल रहे थे तो दिल्ली की जनता की भलाई के लिए मिलकर सरकार नहीं बना सकते थे ? क्यूँ न कांग्रेस बीजेपी को बाहर से ही समर्थन देकर फिर से चुनाव होना रोक ले । आप कह सकते है कांग्रेस और बी जे पी दो विरोधी दल है एक नहीं हो सकते , ऐसे कितने ही मुद्दे है जिन पर एक है क्या अंबानी से पूछकर साझा सरकार का प्रोग्राम नहीं बनाया जा सकता था ? पार्टी चलाने के लिए तो दोनों ही चंदा उधर से लेते है । फिर भी सवाल यही है क्या इनके आपस के राजनैतिक विरोध की प्रतिबद्धता दिल्ली की जनता से बड़ी है ? भाजपा ने सरकार क्यों नहीं बनाई ? असली भगौड़े है कौन ? गौर करिए

संतोष त्रिवेदी ने लिखा कि जिस जगह पर पहुँचने के लिए पिछले पंद्रह सालों से भाजपा टकटकी लगाकर ताक रही थी और फिर भी न पहुँच पाई,उसे केजरीवाल द्वारा अल्प-समय में ही हथियाकर छोड़ देना कोई हँसी-ठट्ठा का खेल नहीं है.पद को पाकर त्यागना आसान नहीं है क्योंकि दुबारा मौके का इंतजार विरले ही कर पाते हैं और सफल होते हैं.
भाजपा और काँग्रेस ने दिल्ली में अपना आधार और खोया है,दिल्ली के बाहर भी इसका असर होगा.