दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंत्रिमंडल का इस्तीफा भेजकर उसे स्वीकार करने और दिल्ली विधानसभा भंग करके तुरंत चुनाव की मांग राष्ट्रपति के सामने रख दी है। लेकिन अब दिल्ली में किसकी चलेगी…यह कांग्रेस के नफा नुकसान से तय होगा।
इस्तीफा स्वीकार करके केयर टेकिंग व्यवस्था के तहत कुछ दिन तक संबंधित काम देखने के लिए उपराज्यपाल कह सकते हैं। लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया मई, 2014 तक पूरी होनी है तो फिर उससे पहले चुनाव की संभावना नजर नहीं आ रही है।
भाजपा भी लोकसभा के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव चाहती है ताकि मोदी फैक्टर के फायदा मिले और 32 पर रुकी सीटें बढ़कर 40 का आंकड़ा पार हो जाए। जबकि कांग्रेस की कोशिश होगी कि चुनाव लोकसभा चुनाव के बाद हों।
हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह का कहना है कि चुनाव किसी भी समय हो, हम तैयार हैं। ऐसे में दिल्ली के चुनाव और सत्ता का केन्द्र कांग्रेस की इच्छाशक्ति पर ही निर्भर करेगी। केंद्र में कांग्रेस की सरकार है, राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश भी उपराज्यपाल व गृह मंत्रालय के माध्यम से जाती है।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव व दिल्ली सरकार के सलाहकार एससी बेहर बताते हैं कि व्यवस्था प्रक्रिया के तहत उपराज्यपाल इस्तीफा स्वीकार करके अगली सरकार या राष्ट्रपति शासन नहीं लगने तक पद पर बने रहने के लिए कह सकते हैं।
दूसरा उपराज्यपाल की यह कोशिश होगी कि कोई दूसरी पार्टी सरकार बना सकती है या नहीं और अंतिम, अगर सरकार नहीं बन सकती तो राष्ट्रपति शासन की सिफारिश उपराज्यपाल कर सकते हैं। वर्तमान हालात को देखते हुए यह कह सकते हैं कि चुनाव लोकसभा के साथ ही होंगे।