सपा पर बढ़ेगा ‘आप’ इफेक्ट का दबाव
दिल्ली विधानसभा में अरविंद केजरीवाल के विश्वासमत जीतते ही यूपी की राजनीति में ‘आप’ इफेक्ट पर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
सत्ता में होने के कारण सबसे ज्यादा दबाव समाजवादी पार्टी पर है। उसके हर फैसले और गतिविधि पर सभी की नजरें हैं।
भाजपा ने दागियों के परिवारवालों को भी टिकट न देने की घोषणा करके इस दबाव को और बढ़ा दिया है। प्रदेश में सभी दलों के सामने सियासत, बाहुबल और धनबल का गठजोड़ तोड़ने की चुनौती है।
हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की तल्ख टिप्पणियों के बावजूद यूपी की राजनीति में अपराधियों और भ्रष्टाचारियों का प्रभाव कम नहीं हो पाया है।
उन्हें महिमामंडित कर माननीय बनाने में कोई भी दल पीछे नहीं है। बाबू सिंह कुशवाहा का उदाहरण सामने है।
बसपा शासन में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने के बावजूद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें गले लगाने में भाजपा ने देरी नहीं की।
अब लोकसभा चुनाव से पहले सपा ने उनकी पत्नी शिवकन्या कुशवाहा को गाजीपुर संसदीय सीट से प्रत्याशी बना दिया।
जिस सपा ने विधानसभा चुनाव में डीपी यादव को टिकट देने से इन्कार करके अपराधियों से दूरी बनाने का संकेत दिया था, वही अब अतीक अहमद को सुल्तानपुर से मैदान में उतार रही है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद पूरे देश में सियासत के रंग-ढंग में बदलाव की बातें उठ रही हैं। इसकी शुरुआत भी हो गई है।
सभी प्रमुख सियासी दलों पर ‘आप’ इफेक्ट देखा जा रहा है। जनता के बदले मिजाज को भांपते हुए भाजपा ने दागियों से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया।
इससे भी दूसरे दलों, खास तौर से सपा पर दबाव बढ़ेगा। सपा के सामने आपराधिक छवि वालों और भ्रष्टाचार केआरोपियों से मुक्ति पाने का दबाव रहेगा।
सपा नेतृत्व की पूरे राजनीतिक हालात पर नजर है। बहुत ताज्जुब नहीं कि आने वाले समय में संगठन और सरकार के स्तर पर पार्टी कुछ ऐसे फैसले ले जिनसे उसका आम लोगों के नजदीक होने का संदेश जाए।
यह है स्थिति
एडीआर और इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक 403 विधायकों में से 189 ने विधानसभा चुनाव लड़ते वक्त अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का ब्यौरा दिया था।
इनमें भाजपा के 47 में से 25, सपा के 224 में 111 और बसपा के 80 में 29, कांग्रेस के 28 में 13 और रालोद के नौ में से दो विधायक आपराधिक छवि के हैं।
इनमें 24 फीसदी यानी 98 विधायकों पर हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, जबरन वसूली, चोरी, डकैती जैसे गंभीर आपराधिक मामले हैं।
भ्रष्टाचारियों की लंबी फेहरिस्त
प्रदेश में भ्रष्टाचारियों की लंबी फेहरिस्त है। ताजा मामला स्मारक घोटाले से जुड़ा है जिसमें दो पूर्व मंत्रियों समेत 19 लोगों के खिलाफ एर्फआईआर दर्ज कराई गई है।
लोकायुक्त ने लखनऊ और नोएडा में स्मारकों के निर्माण में 1400 करोड़ रुपये से ज्यादा के इस घोटाले में दो पूर्व मंत्रियों समेत 199 लोगों को जिम्मेदार ठहराया था।