विधानसभा में सिसोदिया का मास्टर स्ट्रोक

विधानसभा में मनीष सिसोदिया के मास्टर स्ट्रोक सब पर भारी पड़ रहे हैं। बहुत कम समय के अपने भाषण में सरकार के दूसरे नंबर के मंत्री मनीष सिसोदिया को सरकारी बैटिंग की लाइन लेंथ बता दी।

अध्यक्ष को बधाई देने का भाषण हो या फिर प्रहलाद सिंह साहनी की तरफ से विधायक को बताए बिना अधिकारी के निरीक्षण का मामला। दोनों ही मामलों में शिक्षा मंत्री ने साफ किया कि विधायकों को कार्यशैली बदलनी पड़ेगी।

विधानसभा अध्यक्ष मनिंदर सिंह धीर को बधाई देने के दौरान सदन में विपक्षी विधायकों के हंगामे और टोकाटाकी में समय खराब होने पर मनीष सिसोदिया ने निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि जनता के संसाधन और समय बर्बाद किए बगैर हमें ऐसी परंपरा कायम करनी होगी, जिससे सदन का समय बर्बाद न हो। जो समय है उसका पल-पल सदुपयोग हो। यह समय हमारा नहीं है। जनता का है। पूरी दिल्ली में जनता की अलग-अलग तरह की समस्याएं हैं। समस्याएं हल करने के लिए जनता ने चुनकर भेजा है।

वरिष्ठ विधायकों ने सदन की परंपराओं की याद दिलाई थी तो सिसोदिया ने कहा कि जो परंपराएं जनता के हित में हैं उसे कायम रखें। जो हित में नहीं हैं, उसे बदलें। बेशक सदन संवैधानिक दृष्टि से सुप्रीम होता है, लेकिन हमारी सुप्रीमो जनता है।

वहीं किसी भी क्षेत्र में मंत्री या अधिकारी के निरीक्षण पर जाने को लेकर विधायकों की जानकारी की अनिवार्यता की बात रखी तो मनीष ने उस पर भी सरकार की दिशा साफ की। मनीष ने कहा कि विषय गंभीर है, लेकिन मैं कहूंगा कि अधिकारी आम आदमी के लिए हैं। इलाके का निरीक्षण करने आम आदमी के कहने पर भी जाएंगे और विधायकों के कहने पर भी जाएंगे।