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मोदी की खिलाफत के साथ शुरू हुआ जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय व विवादों में रहनेवाले साहित्य के महाकुम्भ जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) की शुरुआत शुक्रवार को एक बार फिर राजनीतिक टिप्पणियों से उपजे विवादों के साथ हुई।

जेएलएफ का पहला दिन मोदी की खिलाफत और आप पार्टी के समर्थन जैसी चर्चाओं में बीता। नोबेल विजेता और प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन मंच से आम आदमी पार्टी को लोकतंत्र के लिए बेहतर बताया।

इधर, एक सत्र में लेखक वेद मेहता ने कहा कि यदि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं, तो यह भारत के धर्मनिर्पेक्ष लोकतंत्र के लिए घातक होगा। पांच दिन तक चलने वाले इस महोत्सव का उद्घाटन राजस्थान की राज्यपाल मार्गेट आल्वा ने किया।

भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी पर बयान से सुर्खियों में आनेवाले अर्थशास्त्री सेन ने अपने उद्घाटन भाषण में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की जीत को लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत बताया तथा कहा कि दिल्ली के चुनाव सशक्त लोकतंत्र को बेहतरीन उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि आप ने देश की आधारभूत दिक्कतों को चुनावी मुद्दा बनाने का उदाहरण पेश किया है। लोकतंत्र हमारे देश का एक महत्वपूर्ण अंग है और इसकी ताकत को आम आदमी पार्टी ने बखूबी इस्तेमाल किया है। सेन ने कहा कि वे भारत में ऐसी दक्षिणपंथी धर्मनिरपेक्ष पार्टी की इच्छा रखते हैं जो साम्प्रदायिक नहीं हो।

इधर, फेस टू फेस विषयक सत्र में लेखक वेद मेहता ने श्रोता के सवाल पर मोदी पर कठोर टिप्पणियां कीं। सवाल था कि यदि मोदी देश के प्रधानमंत्री बनते हैं, तो क्या देश में परिवर्तन नजर आएगा? वेद ने कहा कि देश की धर्मनिर्पेक्षता वाली छवि में नरेन्द्र मोदी फिट नहीं बैठते। उन्होंने अपनी इससे अलग छवि गढ़ी हुई है और यही कारण है कि यदि वे पीएम बनते हैं, तो देश के लिए सबसे घातक होगा। इस देश के लोकतंत्र में सबसे बड़ी बात धर्म निर्पेक्षता ही है।

राजनीति नहीं गुण्डागर्दी
फेस्टिवल में आए रंगकर्मी और नाटककार महमूद फारूकी ने कहा कि आज नई तरह की राजनीति होने लगी है। यहां गुंडागर्दी होती है। मैं यह नहीं कहना चाहता कि भाजपा ही ऐसा करती है। लेकिन आज सब जगह ऐसा होने लगा है। उन्होंने यह बात फेस्टिवल के सत्र हबीब तनवीर-अ लाइफ इन थियेटर में सवालों के जवाब में कही।

पाकिस्तान में मानवाधिकार आयोग मात्र एनजीओ
अमर्त्य सेन ने च्वाइसिस एंड फ्रीडम सत्र में कहा कि भारत में मानवाधिकार आयोग एक संवैधानिक बॉडी है, जबकि पाकिस्तान में यह मात्र एक एनजीओ की तरह है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मीडिया का काफी महत्व है और मीडिया को अपनी ताकत का इस्तेमाल सकारात्मक रूप से करना चाहिए।

सेन ने सवाल खड़े किए कि क्या हमें नष्ट हो जाने वाले आर्थिक स्त्रोत पर रियायत देनी चाहिए? किसी सरकार की आर्थिक जवाबदेही क्या है? क्या डीजल, बिजली, भोजन और कम दाम पर रसोई गैस मिलनी चाहिए?, फिर कहा कि इन मुद्दों पर गहराई से चिंतन करने की जरूरत है। उन्होंने लोगों के द्वारा देश के संसाधनों के बुद्धिमानीपूर्वक इस्तेमाल पर जोर दिया, ताकि अर्थव्यवस्था मजबूत हो सके।

NCR Khabar News Desk

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