लोकसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने जैन समुदाय को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा दे दिया है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अल्पसंख्यक का दर्जा हासिल होते ही जैन समाज को सरकारी नौकरियों में आरक्षण और केंद्र की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
इस फैसले के जरिए सरकार ने चुनाव से पहले देश भर के 60 लाख से अधिक जैन समाज के लोगों को लुभाने की कोशिश की है। राजधानी दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश में इस समुदाय के लोगों की अच्छी खासी संख्या है।
दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित लगभग दर्जन भर से अधिक राज्य पहले ही जैन समुदाय को राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा दे चुके हैं। जैन समाज राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक के दर्जे के लिए कई दशकों से मांग करता आ रहा है।
वैसे सरकार ने जैन समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जे में शामिल करने का राजनीतिक मन पहले ही बना लिया था मगर चुनाव से पहले इसका सेहरा राहुल गांधी के सिर बांधने के लिए रविवार को इसकी पटकथा लिखी गई।
रविवार को जैन समाज के नेताओं की राहुल गांधी से मुलाकात कराई गई। केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन के साथ समुदाय के नेताओं की मुलाकात के बाद राहुल ने इस बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात कर अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग की थी।
मौजूदा समय में देश भर में जैन समुदाय की संख्या लगभग 60 लाख से कुछ अधिक है। केवल लक्षदीप को छोड़कर शेष सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में जैन आबादी मौजूद है।
पिछले कई दशकों से समाज के प्रतिनिधियों, धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों की अगुआई में इस संबंध में मुहिम चल रही थी।
गौरतलब है कि वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की कुल आबादी में जैन समुदाय की हिस्सेदारी महज 0.4 फीसदी ही है।
हालांकि इससे अधिक की हिस्सेदारी वाले समाज पहले ही अल्पसंख्यक की श्रेणी में शामिल हो चुके हैं।