अरविंद केजरीवाल ने 28 दिसंबर को रामलीला मैदान में दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और कैबिनेट बैठक उसी दिन से शुरू कर दी।
पहला फैसला मंत्री, विधायकों और अधिकारियों को सुरक्षा सुरक्षा नहीं लेने और वाहनों से लालबत्ती हटाने का लिया।
शपथ समारोह में पहुंची उत्साहित भीड़ को चमत्कार की उम्मीद थी, लेकिन केजरीवाल घोषणा पत्र में किए गए वादे अभी तक पूरे नहीं कर पाई है
इस बीच ठेके पर नौकरी करने वालों का समाधान निकालने की समिति गठित हुई, लोकायुक्त कानून और स्वराज कानून ड्राफ्ट पूरा हो चुका है, लेकिन कैबिनेट टेबल तक अभी नहीं पहुंचा।
हालांकि शराब माफिया के बीच जान गंवाने वाले एक पुलिसकर्मी को एक करोड़ रुपए की मुआवजा राशि देकर जरूर इतिहास कायम किया है।केजरीवाल ने घोषणा की थी कि विधायक फंड खत्म करेंगे। फंड खत्म होने और नई प्रक्रिया तय नहीं होने से विधायक विकास कार्य नहीं करवा पा रहे हैं।
लोग विकास कार्य या गली बनवाने कहां जाएं, इसे लेकर कुछ समझ नहीं पा रहे हैं। यही नहीं, पुरानी योजना का पैसा नहीं मिलने से ठेकेदारों ने कुछ जगह काम भी रोक दिए हैं।
अनधिकृत कॉलोनियों के नियमन को लेकर भी केजरीवाल की सरकार अभी तक कोई फैसला नहीं कर सकी है। पूर्व सरकार ने जिन कॉलोनियों का नियमन किया था, मामला वहीं अटका हुआ है।
भ्रष्टाचार मिटाने की घोषणा करके टॉप गियर से कुर्सी पर काबिज हुई सरकार अभी तक भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू नहीं करा सकी है। स्टिंग ऑपरेशन का मंत्र देने के लिए शुरू हुई कॉल सेंटर भी यूं ही चल रहा है। अभी तक सिर्फ तीन गिरफ्तारियां हुई हैं।