कांग्रेस की रातों की नींद?
आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सोशल मीडिया के दुरुपयोग की आशंका सता रही है।
पार्टी का कहना है कि सोशल मीडिया में फर्जी एकाउंट बनाकर विरोधी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के खिलाफ जमकर प्रचार किया जाता है।
चूंकि यह एकाउंट किसी पार्टी या उम्मीदवार के नाम पर नहीं होते हैं। इसलिए इन फर्जी नाम वाले एकाउंटों पर चुनाव आयोग भी नजर नहीं पहुंचती है।
कांग्रेस ने पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनावों में इस तरह की गतिविधियों का हवाले देते हुए आगामी चुनावों में सोशल मीडिया के जरिए गलत ढंग से प्रचार पर रोक के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।
कांग्रेस के सचिव (लीगल सेल) के सी मित्तल ने इस मामले पर शनिवार को लिखे पत्र में चुनाव आयोग को बताया है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया का जमकर दुरुपयोग किया गया।
हालांकि सोशल मीडिया के जरिए राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों का प्रचार चुनाव आयोग के संज्ञान में रहता है। लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में देखा गया कि राजनीतिक दल और उम्मीदवार से इतर अन्य लोगों ने भी अपने-अपने सोशल एकाउंटस से किसी के पक्ष में तो किसी के विरोध में प्रचार अभियान चलाया।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल और इसके जरिए होने वाले प्रचार पर पैनी निगाह रखना जरूरी है। जबकि इसे भी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जाना चाहिए।
मौजूदा समय लगभग 40 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिसमें से लगभग 60 फीसदी लोग सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं।
हालांकि इस संबंध में चुनाव आयोग ने 25 अक्तूबर 2013 को सोशल मीडिया पर प्रचार के संबंध में एक गाइडलाइन जारी की थी।
इसके मुताबिक सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के किए गए प्रचार पर आए खर्च को उम्मीदवार और राजनीतिक दलों के खाते में जोड़ने का प्रावधान किया गया था। लेकिन कई उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों ने इसकी काट भी निकाल ली है।