मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान दर्ज कराए गए मुकदमों में बड़ी तादाद ऐसे लोगों की भी है, जिन्होंने महज गुस्से अथवा किसी के बहकावे में आकर फर्जी रिपोर्ट दर्ज करा दी।
सोमवार को ऐसा ही मामला आईजी आशुतोष पांडेय के सामने आया, जब गांव बहावड़ी निवासी एक वृद्ध ने अपने तीन मुकदमों को फर्जी बताते हुए इन्हें खत्म करने की गुहार लगाई।
सोमवार को पुलिस लाइन में आईजी से मिलने पहुंचे गांव बहावड़ी निवासी अब्दुल रहमान ने फर्जी मुकदमे दर्ज कराने की जानकारी दी। अब्दुल रहमान का कहना था कि दंगे के दौरान वह परिवार समेत कैराना के राहत शिविर में रहने चला गया था।
वहां पहुंचकर गुस्से और लोगों के बहकावे में आकर उसने गांव बहावड़ी निवासी कई लोगों के खिलाफ फर्जी रिपोर्ट दर्ज करा दी। इसके साथ ही उसके बेटों नसीम और इसरार ने भी कई लोगों के खिलाफ फर्जी रिपोर्ट दर्ज करा दी, जबकि उनका दंगे में कोई नुकसान नहीं हुआ था।
अब्दुल रहमान ने आईजी से फर्जी मुकदमे दर्ज कराने के लिए माफी मांगते हुए इन मुकदमों को खत्म कराने की गुहार लगाई। अब्दुल रहमान का कहना है कि दंगों के बाद भले ही मामला शांत हो गया हो, लेकिन अब वह गांव लौटना नहीं चाहता।
आईजी ने एसआईटी के एएसपी मनोज कुमार झा को मामले की जांच कर फर्जी मुकदमे खत्म करने के निर्देश दिए हैं।
वोटर लिस्ट देख किए गए नामजद
अब्दुल रहमान ने दंगे के मुकदमों में बड़े पैमाने पर की गई फर्जी नामजदगी की भी पोल खोली है। अब्दुल का कहना है कि उसने तो अपनी रिपोर्ट में गांव के केवल तीन लोगों के ही नाम दिए थे।
जिस शिविर में उसने शरण ली थी, वहां मौजूद कुछ लोगों ने उसे कंप्यूटर पर गांव बहावड़ी के लोगों की लिस्ट दिखाई और फिर उसमें से दस से अधिक लोगों को फर्जी तरीके से नामजद कर दिया गया।
वृद्ध का कहना था कि यही प्रक्रिया उसके बेटों द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमों में भी अपनाई गई थी।
रुड़कली के ग्रामीणों ने दी आठ बीघा जमीन
गांव रुड़कली के ग्रामीणों ने दंगा पीड़ितों के बसाने के लिए अपनी आठ बीघा जमीन दी है। गांव के प्रधान पति डॉ उस्मान ने आईजी से मिलकर बताया कि उनके गांव में फिलहाल दंगा पीड़ितों के 50 परिवार मौजूद हैं।
इन सभी को आठ बीघा जमीन पर बसाने के लिए बस्ती बनाई जा रही है। आईजी आशुतोष पांडेय ने प्रधान पति के प्रयास की सराहना की है।