पुराने ढर्रे पर सपा, जीत के लिए सब चलेंगे

पूर्व सांसद अतीक अहमद के सपा में शामिल होने और लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित किए जाने पर चौंकिए नहीं।

सियासी दल चलते ही इसी फलसफे पर हैं कि जीत के लिए सब चलेंगे।

चुनावी बेला में दलबदल या टिकट से नवाजे जाने वाले अतीक पहले उदाहरण नहीं हैं। सपा में बाहुबली-दागियों की लंबी फेहरिस्त है।

बढ़ रहा है बाहुबल-राजनीति का गठजोड़

कहा जाता है कि राजनीति में नैतिकता और बयान वक्त के साथ बदलते हैं। जीत की संभावना हो तो किसी को भी चुनावी दंगल में आजमाया जा सकता है। इसी सोच के चलते राजनीति और बाहुबल का गठजोड़ खूब फल-फूल रहा है। इस पर अंकुश लगाने में सियासी पार्टियों की कोई दिलचस्पी नहीं है।

हत्या, बलवा, अपहरण, मारपीट, बलात्कार, आगजनी, फ्रॉड हो या कुछ और, कुछ ही नेता हैं जो अपराध की दलदल से दूर हैं। पुलिस का रोजनामचा हो या सरकार की वेबसाइट, सभी जगह माननीयों के नाम मौजूद हैं।

प्रदेश के तीन सांसद ऐसे हैं जिनके नाम देश के टॉप टेन दागी सांसदों की लिस्ट में हैं, इनमें दो सपा के हैं।

सपा में कई हैं दागदार
सपा की बात करें तो पिछले दिनों कई ऐसे नेताओं को पार्टी में शामिल किया गया, जिन पर उंगली उठती रही है। एनआरएचएम घोटाले में जेल में बंद बाबूसिंह कुशवाहा भले ही तकनीकी रूप से सपा में शामिल न हुए, लेकिन उनके परिवार के लोग साइकिल पर सवार हैं।

उनकी पत्नी शिवकन्या को गाजीपुर से सपा प्रत्याशी बनाया गया तब शायद ही किसी को संदेह रहा हो कि बाबूसिंह कुशवाहा के तार सपा से नहीं जुड़े हैं।

इन पर भी उठी उंगली

प्रोन्नत होकर आईएएस बने तपेंद्र प्रसाद जब वीआरएस लेकर सपा में शामिल हुए तो इस फैसले पर भी उंगली उठी। तपेंद्र के खिलाफ पहले से जांच चल रही है। विधायक भगवान शर्मा ऊर्फ गुड्डू पंडित की छवि के बारे में सभी को पता है। सपा ने गुड्डू की पत्नी काजल शर्मा को पहले लोकसभा प्रत्याशी बनाया था, पर अब टिकट कट गया है।

मुजफ्फरनगर के शाहनवाज राना पिछली बार रालोद विधायक थे। अब वे सपा में हैं और उनकी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।

राना की गाड़ी में सवार लोगों पर दिल्ली की छात्राओं से दुराचार की कोशिश का आरोप लगा तो सपा कई दिन तक बसपा सरकार के खिलाफ हमलावर रही थी। फिर सब कुछ भूलते हुए वोट की खातिर उन्हें गले लगा लिया।

ये पहले से हैं सपा में मौजूद
मित्रसेन यादव को सपा ने फैजाबाद से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है। मित्रसेन इस समय फैजाबाद बीकापुर से सपा के विधायक हैं। उनके खिलाफ 36 मामले हैं, जिनमें 14 हत्या के हैं। उन्नाव से लोकसभा के उम्मीदवार अरुण कुमार शुक्ला ‘अन्ना’, विधायक अभय सिंह और एमएलसी अक्षय प्रताप के खिलाफ भी कई आरोप हैं।

इलेक्शन वॉच-एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक अलीगंज से सपा विधायक रामेश्वर सिंह, बीकापुर से मित्रसेन यादव, तुलसीपुर से अब्दुल मसीद, महादेवा से रामकरन आर्य, ज्ञानपुर से विजय कुमार, अमरोहा से महबूब अली ऐसे विधायक हैं जिनके खिलाफ 10 से 22 तक पुराने मामले लंबित हैं।

चंदौली से सपा सांसद रामकिशुन, फतेहपुर से राकेश सचान भी इसी श्रेणी में हैं। मंत्री मनोज पारस समेत कई नेता आरोपों से घिरे हुए हैं।

सियासी दल गंभीर नहीं: बेरवाल
नेशनल इलेक्शन वॉच और एडीआर के नेशनल को-ऑर्डिनेटर अनिल बेरवाल कहते हैं कि तमाम कोशिशों के बाद भी सियासत में बाहुबल और धनबल का प्रभाव कम नहीं हो पा रहा है। इसकी असली वजह सियासी पार्टियां हैं। वे अपराधियों और धनबल वालों को प्रत्याशी बनाने से रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही हैं।

हालांकि, बेरवाल मानते हैं कि गेंद जनता के पाले में है। हमारी रिपोर्ट जागरूकता बढ़ाने के लिए है ताकि लोग सियासी पार्टियों पर साफ-सुथरे प्रत्याशियों के लिए दबाव बनाएं।