बिहार के सभी प्रमुख अखबारों में आज 3 से 5 पेज का सरकारी विज्ञापन आया है। यह बिहार सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के हैं। खैर, आइये मुद्दे की बात करें।
950 करोड़ के चारा घोटाला मामले की जाँच कर रही सीबीआई को राँची की अदालत ने 13 दिसंबर तक बिहार के मुख्यमंत्री के खिलाफ जाँच रिपोर्ट पेश करने को कहा है। परंतु बिहार के प्रमुख दैनिकों में जिस प्रकार इस समाचार और उससे भी अतिश्योक्ति पूर्ण शीर्षक से खबरें छपी उसने मुख्यमंत्री को निर्दोष ही करार दे दिया। इस पूरे प्रकरण से याचिकाकर्ता मिथिलेश कुमार आहत हुए और उन्होने शनिवार को व्यक्तिगत तौर पर कई छोटे मीडिया हाउसेस से संपर्क किया।
बातचीत में मिथिलेश कुमार ने रांची की सीबीआई अदालत के फैसले को अक्षरसः यूँ बताया। “अगर नीतीश कुमार के खिलाफ चारा घोटाला में संलिप्तता का कोई सुबूत है तो सीबीआई उसे 13 दिसम्बर तक अदालत में पेश करें”। इस प्रकार अदालत ने याचिकाकर्ता मिथिलेश कुमार की यह अपील स्वीकार कर ली है कि सीबीआई नीतिश के खिलाफ सबूतों को पेश करने में बेवजह देरी न करे।
मिथिलेश ने शनिवार को कहा की सभी अखबारों ने खबर को इस तरह पेश किया जैसे सीबीआई ने अदालत में नीतीश कुमार को क्लीन चीट दे दी हो, जबकि अदालती आदेश में ऐसा कुछ भी नहीं है।
दरअसल मामले की जांच कर रही सीबीआई ने अदालत में पेश अपने हलफनामे में शुक्रवार को कहा कि नीतीश कुमार, शिवानंद तिवारी और ललन सिंह के खिलाफ चारा घोटाले में शामिल होने के आरोप प्राप्त हुए थे लेकिन उन आरोपों को जांच के लायक नहीं समझा गया.
अदालत के फैसले से नीतीश कुमार की मुश्किलें अभी एक ईंच भी कम नहीं हुई हैं जबकि अखबारों द्धारा भ्रामक ढंग से खबरें फैलाकर जनता के बीच नीतिश को क्लीन चीट देने की कोशिसे हो रही है।
इन सब भ्रामक खबरों के बीच आज के प्रमुख अखबारों में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के जो विज्ञापन आये वे 3 से लेकर 5 पृष्ठों को कवर करते दिखे। और सबसे ज्यादा सर्वाधिक 5 पेज उसे मिला जो सबसे ज्यादा वफादार रहा।