हड़ताल से अखिलेश सरकार को 520 करोड़ का नुकसान
सूबे के कर्मचारी मंगलवार से बेमियादी हड़ताल पर चले हैं। हड़ताल के दूसरे दिन बिजली विभाग और नगर निगम ने भी अपना समर्थन दे दिया है।
हालांकि, खबर है कि इस हड़ताल से सरकार के राजस्व को करीब 520 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
माना जा रहा है कि बुधवार को यह हड़ताल और भी विकराल रूप लेगी और यह घाटा हजार करोड़ रुपये को छू सकता है।
दफ्तरों में कामकाज ठप है, लेकिन सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए ‘नो वर्क नो पे’ की घोषणा की है। यानी, जो भी कर्मचारी हड़ताल पर रहेगा, उसे इस अवधि का वेतन नहीं दिया जाएगा।
साथ ही कार्यालय में अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों का सर्विस ब्रेक माना जाएगा।
हड़ताल के दौरान कर्मचारियों को किसी भी प्रकार के अवकाश न देने के लिए भी कहा गया है। साथ ही कर्मचारियों की दिन में तीन बार हाजिरी ली जाएगी।
मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने सभी विभागों के प्रमुख सचिव व सचिव के अलावा कमिश्नर व डीएम को हड़ताल के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
कर्मचारियों से वार्ता विफल होने के बाद सरकार ने यह कड़ा कदम उठाया है।
सुबह उपस्थित होने के बाद यदि दिन से कर्मचारी कार्य बहिष्कार करते हैं तो उन्हें चिन्हित किया जाए और दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
मुख्य सचिव ने साफ किया कि जो भी कर्मी नियम कानून तोड़ते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करने में संबंधित अधिकारी कतई न हिचकें।
इस बीच, हड़ताल के चलते अधिकतर विभागों में कामकाज लगभग ठप रहा। कई विभागों में ताले पड़ गए जबकि कुछ विभागों में हड़ताल का मिला-जुला असर देखने को मिला।
कर्मचारी नेताओं ने ऐलान किया है कि मांगे नहीं माने जाने पर 15 नवंबर के बाद आवश्यक सेवाएं भी ठप कर दी जाएंगी।
कर्मचारी नेताओं ने जहां हड़ताल को 85 फीसदी सफल बताया है, वहीं सरकार का कहना है कि हड़ताल से कामकाज पर महज 15 फीसदी असर हुआ है।
वहीं, सरकार ने मंगलवार को हड़ताली कर्मचारियों से कोई वार्ता नहीं की। उधर, राजकीय नर्सेज संघ ने चेतावनी दी है कि हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई तो इमरजेंसी सेवाएं तत्काल ठप कर दी जाएंगी।