पीएम ने सीबीआई को हद में रहने की दी नसीहत
कोयला घोटाले में उद्योगपति कुमारमंगलम बिरला और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारिख के खिलाफ दायर एफआईआर की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सीबीआई को हद में रहने की नसीहत दी है।
सोमवार को मनमोहन सिंह ने दो टूक शब्दों में आगाह किया कि जांच एजेंसियां अपनी जांच प्रक्रिया में सरकार की नीतियों, नीतिगत और प्रशासनिक फैसलों को शामिल करने से बाज आएं।
हालांकि इस दौरान पीएम ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई की वैधता पर उठ रहे सवालों को सफलतापूर्वक निपटा लेने का आश्वासन भी दिया।
प्रधानमंत्री की इस खरी-खरी को कुमारमंगलम और पारिख के खिलाफ सीबीआई के एफआईआर दर्ज करने से जोड़ कर देखा जा रहा है। जांच एजेंसी के इस कदम के बाद मनमोहन सिंह की भूमिका को लेकर भी सवाल उठने लगे थे।
उस दौरान कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी सीबीआई जांच के तरीके पर सीधा हमला बोला था। सोमवार को इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने सीबीआई को अपने जांच के दायरे की लक्ष्मण रेखा की याद दिलाई।
हालांकि प्रधानमंत्री ने कई बड़े मामलों की सफलतापूर्वक जांच के लिए सीबीआई को बधाई भी दी। सीबीआई की स्थापना की स्वर्ण जयंती समारोह में प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान कई बार एजेंसी को नसीहतों की घुट्टी पिलाई।
उन्होंने सीधे-सीधे शब्दों में कहा कि सीबीआई जैसी एजेंसी को सरकार की नीति से संबंधित मामलों की जांच में अत्यंत सावधानी बरतने की जरूरत है। सिंह ने कहा कि ऐसे मसले काफी जटिल और बहुआयामी होते हैं।
बेहतर होगा कि एजेंसी भ्रष्टाचार और आपराधिक मामले तक ही अपनी जांच को सीमित रखे। खासतौर पर तब जब एजेंसी के पास ठोस सबूत या बदनीयती का आधार नहीं हो।
साफ शब्दों में सीबीआई को उसकी हद बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार एजेंसी की वैधता के मसले को गंभीरता से ले रही है। उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को भी अहम बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार एजेंसी की गरिमा, भूत, वर्तमान और भविष्य को सुरक्षित रखने के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री का यह बयान सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के एक दिन बाद आया है जिसमें सीबीआई की वैधता को बरकरार रखा गया है। बृहस्पतिवार को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एजेंसी को तकनीकी आधार पर असंवैधानिक करार दिया था।
फैसला लेने में चूक आपराधिक कृत्य से अलगप्रधानमंत्री ने सीबीआई को अपनी जांच के दौरान सरकारी फैसलों में हुई चूक को अपराध से जोड़ने की प्रवृत्ति के प्रति सचेत करते हुए कहा कि फैसला लेने में हुई गलती आपराधिक कृत्य नहीं होता है। अगर ऐसा होता है तो इससे निर्णय लेने की प्रक्रिया के पैरालिसिस होने का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
प्रशासनिक निगरानी में ही करना होगा काम
प्रधानमंत्री ने सीबीआई को अपने काम में आजादी दिए जाने का आश्वासन दिया लेकिन कहा कि पुलिस और जांच एजेंसियां कार्यकारिणी का हिस्सा हैं और उन्हें प्रशासनिक निगरानी के भीतर ही रहकर अपना काम करना चाहिए।
भ्रष्टाचार पनपने के मौके मिलते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि खुली अर्थव्यवस्था और आर्थिक प्रगति के दौर में भ्रष्टाचार को पनपने का भी खूब मौका मिलता है। ऐसे में जरूरी है कि भ्रष्टाचार के अपराध को सही परिप्रेक्ष्य में देखा जाए। उन्होंने पूरी सरकारी प्रक्रिया को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त रखने पर जोर दिया।
‘सरकार की निजी सेना है सीबीआई’
भाजपा ने केंद्र पर सीबीआई का खुद की रक्षक सेना के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि प्रधानमंत्री अपने बयानों से सीबीआई पर दबाव बनाना चाहते हैं।
कांग्रेस और सरकार अपने को बचाए रखने के लिए जांच एजेंसी का दुरुपयोग कर रहे हैं।