नरेंद्र मोदी की रैली को लेकर उत्साहित भाजपाई रैली का बंपर खर्च सुनकर सहम गए हैं। मोदी की हाईटेक रैली का न्यूनतम खर्च एक करोड़ की सीमा को छू रहा है।
जिसके बाद भाजपाई इस खर्च को एक दूसरे पर डालने में जुट गए हैं। भाजपा के एक गुट ने तो आलाकमान से रैली कराने में ही हाथ खड़े कर दिए हैं।
रैली के लिए हाईकमान द्वारा निर्धारित न्यूनतम एक लाख की भीड़ के मानक को लेकर भाजपाई परेशान हैं।
मुरादाबाद में मोदी की रैली नवंबर में होना प्रस्तावित थे। स्थानीय भाजपा नेताओं को रैली को लेकर आश्वस्त कर दिया गया था।
एक-दूसरे पर थोप रहे जिम्मेदारी
भाजपा नेता भी उत्साहित थे। लेकिन जब आलाकमान से रैली की तैयारियों के बारे में निर्देश जारी किए गए तो भाजपा नेता चौंक गए। रैली के लिए जो तैयारियां बताई गईं उनका खर्च करीब एक करोड़ रुपये बैठता है। इसके बाद भाजपा नेताओं में खर्च को एक दूसरे पर थोपने का सिलसिला शुरू हुआ।
चंदे से रकम जुटाने की जुगत भिड़ाई गई। लेकिन रकम बड़ी थी लिहाजा मसला हल नहीं हुआ। इसके बाद भाजपा के एक गुट ने दिल्ली जाकर आलाकमान से दो टूक कह दिया कि वो रैली की व्यवस्थाएं नहीं कर पाएंगे।
स्टैंडर्ड का विशेष ख्याल
दरअसल, मोदी की रैली में साउंड सिस्टम से लेकर टेंट तक का तामझाम और बाकी साजो सामान दिल्ली से ही आता है। हर छोटी से बड़ी चीज में स्टैंडर्ड का विशेष ख्याल रखा जाता है। इस खर्च को झेलने के लिए नेता तैयार नहीं हैं और कार्यकर्ताओं ने तो कूपन कटवाने में ही हाथ खड़े कर दिए थे।
सत्तर करोड़ की एफडी की चाहत
प्रदेश भाजपा का फोकस वोट की जगह नोट पर है। 2014 के समर की तैयारियां में जुटी भाजपा कभी कूपन फार्मूला लाती है तो कभी चंदे के दूसरे बहाने खोजती है। स्थानीय भाजपा नेताओं की मानें तो प्रदेश भाजपा अब नया फार्मूला लाई है।
पूरे प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं से चंदे के रूप में सत्तर करोड़ रुपये जुटाने का टारगेट रखा गया है। इस रकम की एफडी कराई जाएगी और इस एफडी के ब्याज से प्रदेश भाजपा के खर्च वहन होंगे।