‘देश की हर मां को समर्पित है भारत रत्न’

भारत रत्न दिए जाने पर सचिन तेंदुलकर ने कहा, “मैं ये पुरस्कार देश की हर मां को समर्पित करता हूं।”

आखिरी मैच के बाद सचिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भारत रत्न दिए जाने पर आभार जताया और अपने 24 साल के इस सफर के खास पलों को साझा किया।

सचिन तेंदुलकर ने कहा, “देश के लिए 24 साल खेलना मेरे लिए काफी अहम रहा। मुझे आज भी यकीन नहीं आ रहा है कि मैं अब क्रिकेट नहीं खेलूंगा। क्रिकेट मेरे लिए आक्सीजन है।”

सचिन ने बीसीसीआई का आभार जताते हुए कहा, “मैंने आखिरी दो मैचों के लिए अनुरोध किया था, क्योंकि मेरी मां ने आज तक मुझे कभी खेलते हुए नहीं देखा था। मैं चाहता था कि मेरी मां मुझे मैदान में खेलते हुए देखे।”

संन्यास के फैसले पर परिवार भावुक
संन्यास के सवाल पर सचिन बोले कि यह फैसला उनके लिए और उनके परिवार के लिए काफी कठिन था। परिवार उनके इस फैसले से काफी भावुक था।

उन्होंने कहा, “परिवार के लिए यह मानना कठिन था कि मैं अब कभी क्रिकेट नहीं खेलूंगा। जब मुझे लगा कि अब संन्यास ले लेना चाहिए, तब मैंने लिया। मेरे हिसाब से यह संन्यास लेने का सही समय था।”

सचिन ने कहा कि उन्‍हें सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि अब वे कभी देश के लिए नहीं खेल पाएंगे।

युवा खिलाड़ियों की मदद करना चाहूंगा
सचिन ने भविष्य की योजनाओं पर कहा कि वे आगे युवा खिलाड़ियों की मदद करना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश रहेगी कि मैं उनके साथ अपने अनुभव साझा करूं और खेल में उनकी मदद करूं।

सचिन ने कहा कि 22 गज की क्रिकेट पिच ही मेरे लिए सब कुछ थी। यही पिच मेरे लिए मंदिर है। जिंदगी के 24 साल मेरे लिए काफी अहम थे।

अर्जुन को छोड़ दीजिए
अपने बेटे अर्जुन के भविष्य को लेकर किए गए सवाल पर सचिन ने कहा कि अभी ये उसी पर छोड़ देना चाहिए। वो अभी क्रिकेट इन्जॉय करना चाहता है।

मेरी तरफ से अर्जुन पर कोई दवाब नहीं है। अर्जुन ने क्रिकेट का बल्ला थामने का फैसला लिया है और क्रिकेट में कुछ करना चाहता है तो ये उसी पर छोड़ देना चाहिए।

सचिन ने कहा कि एक खिलाड़ी पर किसी प्रकार का कोई दवाब नहीं होना चाहिए। बिना किसी दवाब एक खिलाड़ी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करता है। इसके साथ ही अर्जुन को लेकर मेरे से तुलना किया जाना भी ठीक नहीं है।

वर्ल्ड कप जीतना सबसे खास पल

अपने क्रिकेट करियर के सबसे यादगार पलों के बारे में बताते हुए सचिन बोले कि 2011 में वर्ल्ड कप जीतना मेरे लिए सबसे यादगार पल है। इसके साथ ही अब सन्यास लेते हुए मिलने वाले लोगों के प्यार को मैं कभी नहीं भूल सकता। ये दोनों ही पल मेरे लिए सबसे यादगार हैं।

अगर दुखद पलों की बात की जाए तो 2003 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत का हारना मेरे लिए काफी दुखद था। हम अच्छा खेल रहे थे लेकिन आखिर में जाकर हम हार गए।