जल्द मदद नहीं मिलती तो होता नरसंहार’

muzaffarnagar-riots-5230a8b469c04_exlदंगों की सुनवाई कर रहे विष्णु सहाय आयोग के सामने पीड़ितों ने पुरबालियान और बसधाड़ा के हमले की हकीकत बयां की। काकड़ा और सोरम के पीड़ित किसानों ने कहा कि हमले सुनियोजित थे।

यदि आसपास के गांव से मदद नहीं मिलती तो वहां नरसंहार होता। उन्मादियों ने घात लगाकर हमले किए। घरों से ईंटें और गोलियां बरसाईं।

मंगलवार को आयोग ने नई मंडी गेस्ट हाउस में हिंदू पक्ष के 10 लोग बयान दर्ज करने के लिए बुलाए। काकड़ा और सोरम के किसानों ने जस्टिस विष्णु सहाय को पुरबालियान और बसधाड़ा हमले का वाकया सुनाया।

सात सितंबर नंगला मंदौड़ पंचायत से लौटते हुए शाम को इस इलाके में दूसरे समुदाय के लोगों ने घात लगाकर हमले किए थे। इनमें चार लोगों की मौत हुई और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए।

सोरम के ऋषिपाल और ब्रजवीर व चांदवीर ने हकीकत बयां की। कवाल के रविंद्र, बसेड़ा के अशोक, मुंडभर के हरपाल, शामली के मोहल्ला नंदूप्रसाद के वेदपाल और प्रकाशचंद ने अपना पक्ष रखा।

आयोग ने बंद कमरे में सभी के बयान दर्ज किए। वहीं दूसरी ओर स्पेशल इंवेस्टीगेशन की टीम (एसआईटी) गांव मोहम्मदपुर शकिस्त और मोड़ खुर्द में वीरेंद्र उर्फ पप्पू व जोगेंद्र के परिजनों के बयान लिए। इसके साथ ही घायल हुए 12 लोगों के भी बयान लिए।