चुनाव से पहले ओपिनियन पोल को बैन करना चाहती है कांग्रेस
पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखें जैसे-जैसे करीब आ रही हैं, कांग्रेस की धड़कन भी तेज होने लगी है। चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों से ओपिनियन पोल पर राय मांगी थी कि क्या इसे बैन कर देना चाहिए। कांग्रेस ने चुनाव आयोग के इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से ओपिनियन पोल के बारे में कहा कि इसकी प्रक्रिया न तो सायंटिफिक है और न ही पारदर्शी। ऐसे में ओपिनियन पोल से लोगों को गुमराह ही किया जा सकता है। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि ओपिनियन पोल से लोग केवल गुमराह हो रहे हैं।
कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा है कि इसे पूरी तरह से बैन किया जाना चाहिए। वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस अपनी घटती लोकप्रियता से घबराई हुई है। हाल ही में जितने ओपिनियन पोल आए उसमें कांग्रेस की बुरी हालत रही है। ऐसे में कांग्रेस की ओपिनियन पोल पर राय चौंकाने वाली नहीं है। सीपीआई नेता डी राजा ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि कांग्रेस की यह राय उसकी घटती लोकप्रियता के कारण है।’शिरोमणी अकाली दल के नेता नरेश गुजराल का भी कहना है कांग्रेस ओपिनियन पोल से डर गई है और अब बैन करवाना चाहती है।
चुनावों के दौरान ओपिनियन पोल के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगाने के चुनाव आयोग के विचार का समर्थन करते हुए कांग्रेस ने कहा कि रैन्डम सर्वे ‘दोषपूर्ण’ और उनमें ‘विश्वसनीयता की कमी’ होती है। साथ ही पार्टी ने कहा कि इसे निहित स्वार्थों के लिए ‘तोड़ मरोड़’ कर पेश किया जाता है। निर्वाचन आयोग को 30 अक्टूबर को लिखित जवाब में कांग्रेस ने कहा कि वह ‘चुनावों के दौरान ओपिनियन पोल के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगाने के चुनाव आयोग के विचारों को पूरा समर्थन देता है।’
आयोग को पार्टी के आधिकारिक रूख से अवगत कराते हुए कांग्रेस के कानूनी और मानवाधिकार विभाग के सचिव के. सी. मित्तल ने कहा, ‘ ओपिनियन पोल लोकतांत्रिक संस्थानों की मजबूती में सहयोग नहीं करते और हर बार वे ‘दोषपूर्ण’ होते हैं। ये अधिकांश मतदाताओं के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। चुनाव आयोग के दायित्व के तहत यह मूल चुनावी अवधारणा के विपरीत है। हम चुनाव आयोग की पहल की प्रशंसा करते हैं।’
चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त दलों से 21 अक्टूबर तक अपने विचार देने को कहा था। फिलहाल मतदान के 48 घंटे पहले से ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध है। सभी मान्यता प्राप्त दलों के अध्यक्षों, महासचिवों को लिखे पत्र में आयोग ने कहा, ‘आयोग चाहता है कि चुनाव के दौरान ओपिनियन पोल कराने और इसके परिणामों को प्रकाशित और प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव के बारे में अवगत कराया जाए। कृपया 21 अक्टूबर 2013 तक अपनी राय दें।’ इससे पहले चुनाव आयोग ने सरकार को प्रस्ताव दिया था कि ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध लगाया जाए, जिसके बाद सरकार ने आयोग से कहा कि इस मुद्दे पर वह विभिन्न दलों के साथ फिर से विचार-विमर्श करे।