आठ दिन बाद पता चलेगा मोदी-मुलायम में कौन भारी
बहराइच में 8 नवंबर को विजय शंखनाद रैली में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने जाने-अनजाने खुद की पकड़ व लोकप्रियता को चुनौती दे डाली।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने न्यूज चैनलों को एक एडवाइजरी जारी कर हमें ज्यादा दिखाने पर अंकुश लगाने की कोशिश की है।
कोशिश चैनलों को इससे बाज आने की चेतावनी की भी है, जिससे वे हमारी रैली को ज्यादा दिखाने और भाषण सुनाने से बाज आ जाएं।
भले ही मोदी ने यह बात कांग्रेस को घेरने के लिए कही हो, पर लोगों में 21 नवंबर को आगरा में मोदी और बरेली में मुलायम सिंह यादव की होने वाली रैली में जुटने वाली भीड़ व चैनलों पर कवरेज को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
मोदी ने बहराइच में कहा था कि एडवाइजरी में न्यूज चैनलों से कहा गया है कि उन्होंने 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के लालकिला से भाषण के लाइव प्रसारण के दौरान गुजरात से मोदी के भाषण को दिखाकर परंपराओं को उल्लंघन किया है।
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के लालकिला से भाषण के दौरान किसी और को दिखाना अनुचित है। केंद्र सरकार की इस एडवाइजरी की असली वजह कुछ और है।
मोदी ने कहा कि जिस दिन पटना में उनकी रैली थी, उसी दिन ‘शहजादे’ की दिल्ली में सभा थी।
पर, चैनल वालों से गलती यह हुई कि उन्होंने हमारी रैली को लाइव दिखा दिया जबकि शहजादे को बीच-बीच में। इसीलिए केंद्र सरकार ने इस एडवाइजरी की आड़ में चैनलों को हद में रहने की चेतावनी दे डाली।
लोगों को मिला तुलना का मौका
मोदी ने भले ही यह बात सामान्य तौर पर कही हो या कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने के लिए, पर लोगों को मुलायम व मोदी की लोकप्रियता और भाषण शैली की तुलना का मौका मिल गया है।
लोग चर्चा कर रहे हैं कि भीड़ व भाषण में कांग्रेस नेताओं से बाजी मारने वाले मोदी की असली कसौटी 21 नवंबर को होगी।
उस दिन मोदी की आगरा और मुलायम सिंह की बरेली में सभाएं हैं। तब पता चलेगा कि मोदी यूपी के लोगों को कितना लुभा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की टीआरपी में यूपी में मोदी नंबर वन पर हैं या मुलायम।
इसकी वजह भी है
मोदी व मुलायम की रैली 21 को एक ही पट्टी में नहीं बल्कि लगभग एक ही समय शुरू होगी। मुलायम की रैली उस इलाके में हो रही है जो उनके प्रभाव वाला माना जाता है।
ऐसे में वहां अच्छी भीड़ जुटने की संभावना है। पर, न्यूज चैनलों के लिए दोनों रैलियों को एक साथ लाइव दिखाना बहुत मुश्किल होगा।
ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि भीड़ व भाषण के लिहाज से चैनल किसे महत्व देते हैं।