आंखें मूंदकर जुर्माना न लगाए सीसीआइ
नई दिल्ली। हाल ही में विभिन्न उद्योगों पर भारी जुर्माना लगाने को लेकर सुर्खियों में रहे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) के कामकाज पर प्रतिस्पर्धा अपीलीय टिब्यूनल (कांपेट) ने तीखी टिप्पणी की है। कांपेट का कहना है कि सीसीआइ आंखे मूंदकर मशीनी तरीके से सिद्धांतों को लागू न करे बल्कि तथ्यों के आधार पर ही जुर्माने की रकम तय करे।
कांपेट की इस टिप्पणी का असर सीसीआइ के आगामी फैसलों पर देखने को मिल सकता है। सीसीआइ के किसी भी फैसले के खिलाफ अपील कांपेट में की जाती है। तीन कंपनियों पर गैर प्रतिस्पर्धी तरीके अपनाने के आरोप में सीसीआइ ने अप्रैल, 2012 में 317.71 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। इस फैसले के खिलाफ की गई अपील पर सुनवाई करते हुए कांपेट ने सीसीआइ को जुर्माना सोच समझकर लगाने का निर्देश दिया।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) द्वारा 2009 में निकाले गए एक टेंडर को हासिल करने के लिए इन तीनों कंपनियों ने कार्टेल बनाया था। इसके अलावा, इन कंपनियों ने एफसीआइ के एक अन्य टेंडर का एक साथ बहिष्कार भी किया था। पिछले कुछ महीनों में सीसीआइ ने क्रिकेट संस्था बीसीसीआइ और डीएलएफ के खिलाफ बड़े जुर्माने लगाए थे। ये दोनों फैसलों के खिलाफ भी कांपेट में अपील की गई है।
कांपेट ने सीसीआइ के निर्णय को सही जरूर ठहराया लेकिन जुर्माना कम कर दिया। कांपेट ने कहा कि सीसीआइ को केवल नियमों को आधार बनाकर कोई फैसला नहीं देना चाहिए। प्रतिस्पर्धा कानून की धारा 27 बी के मुताबिक, ऐसी कंपनियों पर तीन साल के औसत टर्नओवर का 10 गुना जुर्माना लगाया जा सकता है। कांपेट ने यूनाइटेड फॉस्फोरस पर जुर्माना 252.44 करोड़ रुपये से घटाकर 6.94 करोड़, एक्सेल कॉर्प पर 63.90 करोड़ रुपये से घटाकर 2.91 करोड़ और संध्या ऑर्गेनिक पर 1.57 करोड़ रुपये से घटाकर 15.7 लाख रुपये किया है।