नई दिल्ली। अमेरिकी सरकार में बजट पारित करवाने को लेकर चल रहे संकट का असर ग्लोबल अर्थव्यवस्था को गहरी मंदी में ढकेल सकता है। शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) ने इस संबंध में गंभीर चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकार की यह मौजूदा बंदी अमेरिका में ऋ ण संकट के तौर पर तब्दील हो सकती है।
अगर ऐसा होता है कि विश्व अर्थव्यवस्था वर्ष 2008 की मंदी से भी ज्यादा खतरनाक स्थिति में फंस सकती है। इसका काफी खामियाजा भारत को भी उठाना पड़ सकता है। इस अमेरिकी शटडाउन का शुक्रवार को चौथा दिन था। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी गुरुवार को अपने संदेश में इसके संकेत दिए हैं कि अगर नए बजट को पारित करवाने को लेकर कांग्रेस में जल्दी से सहमति नहीं बनती है तो इससे आर्थिक हालात काफी तेजी से बिगड़ सकते हैं। इसके बाद ही आइएमएफ प्रमुख क्रिस्टीना लगार्ड ने अमेरिका के संभावी कर्ज संकट को लेकर दुनिया को चेतावनी जारी की है।
मौजूदा संकट के गहराने पर अमेरिका आने वाले दिनों में अपनी ऋ ण देनदारियों के भुगतान से चूक सकता है। मुद्राकोष का कहना है कि इसकी शुरुआत भी ग्लोबल बाजार की नींव हिला सकती है। मुद्राकोष जैसी ही संभावना भारतीय उद्योग चैंबर एसोचैम ने जताई है। उद्योग चैंबर के मुताबिक अगर अमेरिका अपनी देनदारियों का समय पर भुगतान नहीं कर पाता है तो इसका असर भारत समेत पूरी दुनिया पर पड़ेगा। अमेरिका में कर्ज संकट पैदा हो, उससे निबटने के लिए सरकार को अपनी आपात योजना पर काम शुरू कर देना चाहिए।
एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को वैसे हालात से बचाने के लिए अभी से सुरक्षा कवच पहनाने की तैयारी होनी चाहिए। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रलय, वाणिज्य मंत्रलय, रिजर्व बैंक, सेबी, योजना आयोग सभी को मिलकर आपातकालीन योजना का खाका तैयार करना चाहिए। एसोचैम ने यह भी कहा है कि भारतीय बैंकों का अमेरिकी ऋ ण बाजार में सीधा निवेश काफी कम है। इसके बावजूद अगर दुनिया भर में संकट फैलता है तो उसके असर से भारत नहीं बच पाएगा। कपूर के मुताबिक अमेरिका का संभावी ऋ ण संकट जिंस, बुलियन व अन्य वित्तीय बाजार में भारी उथल-पुथल मचा सकता है।