सुरक्षा नियमों की धज्जियां उड़ा रहीं तेल कंपनियां

05_10_2013-tankersमुंबई – पूरे देश में पेट्रोल पंपों का जाल बिछाए बैठी तेल कंपनियां राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण [एनडीएमए] के दिशानिर्देशों की धज्जियां उड़ा रही हैं। सुरक्षा के प्रति पेट्रोलियम कंपनियों की यह लापरवाही देश को किसी भी दिन भारी पड़ सकती है। एनडीएमए ने जुलाई, 2010 में तेल कंपनियों के लिए सुरक्षा संबंधी कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे।

इन निर्देशों एक यह भी था कि तेल कंपनियों के क्षेत्रीय भंडारों से पेट्रोल पंपों तक पेट्रोलियम पदार्थ पहुंचाने वाले टैंकरों में जीपीएस [ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम] युक्त वाहन निगरानी प्रणाली यानी वीटीएस लगाई जानी चाहिए। इससे कंपनियों के डिपो से पेट्रोल पंपों तक टैंकरों की बराबर निगरानी की जा सकेगी। निर्धारित मार्ग से इधर-उधर होने या अधिक देर तक रुकने की स्थिति में कंपनियों के डिपो या टैंकर मालिकों व पेट्रोल पंपों को तुरंत इसकी सूचना मिल सकेगी। एनडीएमए द्वारा जारी किए गए 40 पृष्ठों के दिशानिर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि आतंकवादरोधी रणनीति के तहत कंपनियों के लिए ऐसा करना जरूरी है।

उक्त दिशानिर्देश जारी होने के बाद तीनों प्रमुख तेल कंपनियों- इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम ने अपने उत्पाद पेट्रोल पंप तक पहुंचाने वाले ज्यादातर टैंकरों पर वीटीएस यंत्र तो लगवा दिए हैं, लेकिन क्षेत्रीय भंडारों द्वारा टैंकर मालिकों या पेट्रोल पंपों को जीपीएस का पासवर्ड न दिए जाने से इन यंत्रों का उपयोग अर्थात वाहनों की निगरानी का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। हाल ही में भारत पेट्रोलियम के पूर्व चेयरमैन आरके सिंह ने माना था कि उनकी कंपनी के 96 फीसद वाहनों पर वीटीएस लगे हैं। इनमें से चल कितने वीटीएस रहे हैं, इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं थी। पेट्रोलियम वाहनों पर लगाए जानेवाले वीटीएस यंत्रों एवं जीपीएस का खर्च भी कंपनियां टैंकर मालिकों से ही लेती हैं।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने देश में बढ़ती आतंकी घटनाओं एवं सुरक्षा संबंधी अन्य कारणों से अप्रैल, 2010 में लेफ्टीनेंट जनरल डॉ. जेआर भारद्वाज की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई थी। बैठक में सभी पेट्रोलियम कंपनियों सहित 26 विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। इन सभी ने मई, 2010 तक अपने लिखित सुझाव भी एनडीएमए को सौंप दिए थे। इन सुझावों के आधार पर ही प्राधिकरण ने जुलाई, 2010 में अपने सुरक्षा संबंधी निर्देश पेट्रोलियम मंत्रालय को सौंपे थे। इन दिशानिर्देशों को लागू करवाने की जिम्मेदारी पेट्रोलियम मंत्रालय की थी। मंत्रालय अपनी यह जिम्मेदारी निभाने में अभी तक कामयाब नहीं हो पाया है।