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सही हो तो सोनिया-राहुल, गलत हो तो मनमोहन

manmohan-sonia-524c6b482b74c_exlदागी नेताओं को बचाने के अध्यादेश पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पीछे हटने के साथ ही एक बार फिर सोनिया गांधी और राहुल गांधी का सरकार के उलटे पड़े फैसले में भी बेदाग बनकर निकलने का सियासी फार्मूला सामने आ गया है।

दरअसल, यूपीए सरकार के कार्यकाल में ऐसे कई मौके आए हैं। जब जनविरोधी कामों का ठीकरा मनमोहन पर फोड़ा गया तो अच्छे कामों का श्रेय सोनिया और राहुल के हिस्से आया है।

कोयला घोटाले पर पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार का इस्तीफा और रेल घोटाले को लेकर पवन बंसल का इस्तीफा इसका ताजा उदाहरण हैं। दोनों मंत्रियों के इस्तीफे की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया गया। संसद का सत्र पूरा हंगामे के भेंट चढ़ गया।

मगर बाद में दोनों मंत्रियों के इस्तीफे के बाद ऐसा संदेश दिया गया कि प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं चाहते थे। सोनिया और राहुल के हस्तक्षेप के बाद इस्तीफा करवाया गया।

इसी तरह राजनीतिक दलों को सूचना अधिकार कानून के दायरे में लाने वाले फैसले को पलटने पर सहमति बनी थी, लेकिन बाद में इस संशोधन विधेयक को स्थायी समिति को भिजवाने का श्रेय भी सोनिया के हिस्से में ही गया।

जबकि कानून में संशोधन का फैसला बाकायदा कांग्रेस कोर कमेटी में हुआ। वैसे ही अश्विनी कुमार और बंसल का इस्तीफा नहीं करवाने का फैसला भी सोनिया की मौजूदगी में कोर कमेटी में हुआ था।

ऐसे ही खाद्य सुरक्षा कानून का रास्ता रोके जाने को लेकर भी प्रधानमंत्री पर परोक्ष रूप से आरोप लगे। विधेयक अध्यादेश से आएगा या फिर बिल के रूप में। इसे लेकर सरकार में असमंजस था। आखिरी में जब अध्यादेश पर सहमति बनी तब भी श्रेय सोनिया को ही गया।

भूमि अधिग्रहण विधेयक की देरी को लेकर भी प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट को ही सामने किया गया। मगर जब आया तो सरकार के मंत्रियों ने कहा कि राहुल की वजह से आया।

अन्ना आंदोलन जब संभाले नहीं संभल रहा था तो प्रधानमंत्री को आलोचना सहने के लिए आगे कर दिया गया। मगर बाद में जब यह सुलटने लगा तो सोनिया ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कदम उठाने की बात कह दी।

आंदोलन को खत्म करने का श्रेय भी दस जनपथ को दिया गया। ऐसे ही 16 दिसंबर के दिल्ली गैंगरेप को लेकर सरकार की असंवेदनशीलता के लिए प्रधानमंत्री ही कठघरे में खड़े किए गए और इस संबंध में आए अध्यादेश का सेहरा भी कांग्रेस अध्यक्ष के सिर ही बंधा।

यूपीए सरकार के पिछले नौ सालों में ऐसे कई मौके आए हैं जब उलटे पड़े कांग्रेस कोर ग्रुप के राजनीतिक फैसले का जिम्मेदार पीएम और सरकार को ठहरा कर पार्टी हाईकमान का दामन हमेशा पाक साफ रहने का संदेश दिया गया है।

NCR Khabar News Desk

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