संत शोभन सरकार ने डौंडिया खेड़ा के किले में स्वर्ण भंडार होने की भविष्यवाणी दोहराते हुए कहा है कि उनका दावा झूठा निकल जाए तो सरकार राष्ट्र की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाने, अंधविश्वास फैलाने आदि के आरोप में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार, राजनेता और मीडिया का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल चाहे तो वह स्वर्ण भंडार दिखा सकते हैं, बशर्ते सरकार पहले डौंडिया खेड़ा और जिले के विकास के लिए फाउंडर घोषित करे।
अपने बक्सर आश्रम में मंगलवार को ‘अमर उजाला’ से विशेष बातचीत में संत शोभन सरकार ने राष्ट्र कल्याण के लिए स्वर्ण कोष उपलब्ध कराने का निश्चय दोहराते हुए कहा- ‘जानता हूं, दावा झूठा निकला तो मुझे कोई रोटी भी नहीं देगा। इच्छा है कि रक्षित स्वर्ण भंडार रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) के खाते में जाए न कि किसी म्यूजियम में।’
उन्होंने कहा कि डौंडिया खेड़ा में 1000 टन और फतेहपुर के आदमपुर क्षेत्र स्थित वसुधा में 2500 टन सोना जमीन में संचित है। उन्होंने ये रहस्योदघाटन कर अपने जीवन भर की तपस्या को दांव पर लगा दिया है। राष्ट्र कल्याण के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार के सामने उन्होंने नि:स्वार्थ प्रस्ताव रखा है। फाउंडर एक्ट की कार्रवाई पूरी किए बिना किसी की ताकत नहीं कि वह सोना निकाल ले।
…तब खजाना की कोई गारंटी नहीं होगी
नौ अक्तूबर को डीएम उन्नाव को भेजे गए पत्र में स्वामी ओम ने लिखा है- ‘बिना इंडियन ट्रेजर ट्रोव एक्ट की प्रक्रिया पूरी किए खनन कराना उनके (संत शोभन सरकार) साथ विश्वासघात होगा। इस स्थिति में खनन सफल हो अथवा नहीं, इसकी कोई गारंटी शोभन सरकार की नहीं होगी। जबकि एक्ट का पालन करके प्रक्रिया जारी रखने पर 1000 टन स्वर्ण कोष मिलना सुनिश्चित है।’