नई दिल्ली। देश के डाक घरों को बैंकों में तब्दील करने के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दो चहेते मंत्री कैबिनेट में आमने-सामने हो गए हैं। वित्त मंत्री पी चिदंबरम के सख्त विरोध के बावजूद संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने सभी डाक घरों को मिलाकर पोस्ट बैंक बनाने की अपनी योजना का प्रस्ताव कैबिनेट को भेज दिया है। अगले हफ्ते कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव का भविष्य तय होगा।
सूत्रों के मुताबिक पिछले गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में ही पोस्ट बैंक के गठन के प्रस्ताव पर विचार होना था, लेकिन तेलंगाना पर लंबी चर्चा की वजह से इसे आगे के लिए टाल दिया गया है। संचार मंत्रालय के अधिकारी स्वीकार करते हैं कि पोस्ट बैंक के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलती है या नहीं यह पूरी तरह से वित्त मंत्री पी चिदंबरम के रुख पर निर्भर करेगा।
वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव के पूरी तरह से खिलाफ है। उसका तर्क है कि भारतीय डाक घर की कार्यप्रणाली बैंकिंग कारोबार की प्रतिस्पद्र्धा में नहीं टिक सकती। अब बाजार में निजी क्षेत्र में नए बैंक आने वाले हैं। विदेशी बैंकों का प्रसार भी बढ़ता जा रहा है। पोस्ट बैंक वित्तीय मजबूती में इनसे पिछड़ सकता है। वित्त मंत्रालय को यह आशंका भी है कि भारतीय डाक विभाग आधुनिक बैंकिंग में नहीं टिक पाएगा।
सिब्बल की तैयारियां भी कम नहीं है। कैबिनेट के समक्ष सिब्बल यह तर्क रखेंगे कि 1.55 लाख डाक घरों और 25 करोड़ बचत खाताधारकों की बदौलत पोस्ट बैंक सरकार के वित्तीय समावेश अभियान में अहम भूमिका निभा सकता है। डाक घरों को बैंक में तब्दील कर सीधे खाते में सब्सिडी ट्रांसफर करने की योजना को भी बहुत कम समय में लागू किया जा सकता है। कैबिनेट प्रस्ताव में पोस्ट बैंक को सरकार से कुछ अतिरिक्त धन मुहैया कराने को भी कहा जाएगा।