मुजफ्फरनगरः राहुल से खफा पीड़ित बोले, भाड़ में जाए ISI
जमील अहमद पिछले महीने जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से जब मिले थे, तो उन्हें उम्मीद की किरण दिखी थी।
उम्मीद इस बात की कि जल्द ही वह कमाने लगेंगे, एफआईआर में जिनके नाम हैं वे गिरफ्तार होंगे और उनका परिवार एक बार फिर महफूज होगा।
लेकिन यह उम्मीद अब गुस्से में बदल चुकी है। और राहुल ने यह कहकर गुस्सा भड़का दिया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों से संपर्क साध रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक बस्सीकलां रिलीफ कैंप में रह रहे अहमद ने कहा, “हमाने पास खाने के लिए कुछ नहीं है, ठंड से बचने के लिए कपड़े-कंबल नहीं हैं और नेता कह रहे हैं कि हमें पाकिस्तान से फोन आ रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “हमारे पास इतने भी पैसे नहीं हैं कि फोन चल सके। मैं और मेरा परिवार दस सितंबर से यहां रह रहे हैं। हर रोज एक संघर्ष है, पाकिस्तानी एजेंट के बारे में कौन सोचेगा?”
जब प्रधानमंत्री और गांधी परिवार दंगा पीड़ित गांवों में गए थे, तो उनसे मुलाकात करने वालों में अहमद भी थे। उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि मैं उन्हें यह बताते हुए रो पड़ा था कि मैं रात के अंधेरे में कैसे गांव से भागे। हमें उम्मीद है कि हमें मदद मिलेगी। हमें कोई नाटक नहीं चाहिए और न हमें वह समझ आता है।”
ऐसे ही एक पीड़ित यूसुफ ने कहा, “वह हमारे दुख के साथ सियासत खेल रहे हैं। वे यह नहीं समझ रहे कि हमारे पास मकान नहीं है, यानी हम वोट भी नहीं डाल सकते।”
लिसाढ़ गांव के अब्दुल कदीर ने कहा, “इस बयान से राहुल का मतलब क्या है? मीडिया दिन भर हमसे सवाल करता है कि हम पाकिस्तान की तरफ हैं या हिंदुस्तान के या हमें पाकिस्तान से कितनी कॉल आई हैं?”