नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि संपत्ति में महिलाओं को बराबर का हक मिलना चाहिए। अब लोग इस विषय में गंभीरता से सोचने के लगे हैं। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए यह आवश्यक भी है। कई केंद्रीय योजनाओं ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह बुधवार को कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। बुधवार को गैरसरकारी संस्था ऑक्सफेम द्वारा आयोजित सेमीनार में महिलाओं ने भी संपत्ति के अधिकार पर विचार रखे।
सेमीनार में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गांवों में किसान महिलाएं पुरुषों की ही तरह कड़ी मेहनत कर रही हैं। इसलिए उन्हें बराबर का अधिकार भी मिलना जरूरी है। अब बैंक खाते से लेकर जमीन पर अधिकार में उनका नाम दर्ज होता है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना व राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं के संपत्ति में अधिकार की शुरुआत हुई है।
इस अवसर पर योजना आयोग की सदस्य डॉ. सईदा हमीद ने कहा कि नई पंचवर्षीय योजना में महिलाओं को संपत्ति में अधिकार पर विशेष रूपरेखा तैयार की जा रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर की प्रोफेसर बीना अग्रवाल ने कहा कि भारत में मात्र 13 फीसद महिलाओं की निजी संपत्ति है। इस मामले में दक्षिण भारत की महिलाएं अधिक संपन्न हैं, जहां 34 फीसद महिलाओं के नाम पर उनकी संपत्ति है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को एक नागरिक होने की हैसियत से यह अधिकार है कि उनके नाम से संपत्ति हो। इसका गहरा प्रभाव उनकी जिंदगी पर पड़ता है। इस मौके पर अधिवक्ता कीर्ति सिंह ने कहा कि कानून तमाम बने हैं, लेकिन उसे लागू करना बड़ी चुनौती बनी हुई है। जेएनयू की प्रोफेसर जोया हसन ने कहा कि तमाम चर्चाओं के बाद भी अब तक नतीजा नहीं निकल सका, यह चिंता का विषय है।