दिवाली से पहले ही बाजार से सोना गायब

gold-5243dfe276217_exlत्योहारी मौसम में यदि आप सोने के गहने, सिक्के, बिस्किट या अन्य कोई उत्पाद खरीदने की सोच रहे हैं, तो इस बार आपको निराशा ही हाथ लग सकती है।

इसकी मुख्य वजह सराफा बाजार में मांग पूरी करने के लिए सोने की बेहद कमी है। आलम यह है कि सराफा कारोबारी इस समय भले ही आपका ऑर्डर स्वीकार कर लें, लेकिन उसकी आपूर्ति वह तत्काल करने की स्थिति में नहीं हैं।

सरकार ने चालू खाता घाटा और रुपये की गिरावट को रोकने के लिए सोने के आयात पर जो सख्ती दिखाई है, उसका असर देश में ठोस सोने (सॉलिड गोल्ड) की कमी के रूप में दिखाई देने लगा है।

इसके चलते देश के प्रमुख सराफा बाजारों के कारोबारी त्योहारी सीजन के बावजूद नए ऑर्डर लेने से भी परहेज कर रहे हैं। तेल के बाद देश में सोने के आयात पर सरकार को सबसे अधिक विदेशी मुद्रा का भुगतान करना पड़ता है।

देश में सॉलिड गोल्ड की कमी का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि देश के सबसे बड़े सराफा बाजार मुंबई जावेरी मार्केट के कारोबारी इस समय ग्राहकों की मांग पूरी करने की बजाय उनके फोन कॉल्स अवायड करने में अधिक व्यस्त हैं।

देश में पिछले दो माह से मध्य सितंबर तक सोना आया ही नहीं और इंडस्ट्री की मुश्किलें लगातार बनी हुई हैं। जबकि, मौजूदा समय त्योहारों का है और मांग सबसे अधिक है।

40 मिनट की अवधि में पांच दफा फोन कॉल इग्नोर करने के बाद कॉल लेने वाले जावेरी मार्केट के एक थोक कारोबारी गौतम अरोड़ा का कहना है कि अगर कोई 10 किलो सोने की मांग करता है, तो हमारे पास स्टॉक है ही नहीं।

हालात ऐसे बन गए हैं कि हमने ग्राहकों के फोन कॉल उठाने ही बंद कर दिए हैं।

देश के सबसे बड़े सराफा कारोबारी रिद्धी सिद्धी बुलियन लिमिटेड (आरएसबीएल) के निदेशक पृथ्वीराज कोठारी का कहना है कि सरकार की नीतियों के चलते बाजार में इस तरह के हालात बने हैं।

हमें यह समझ में नहीं आ रहा कि सरकार क्या सोच रही है। सरकार द्वारा सोने के आयात को लेकर नए दिशानिर्देश जारी करने के बाद आरएसबीएल का रोजाना का कारोबार करीब 300 किलो से घटकर 20-30 किलो रह गया है।

सरकार ने सोने के आयात पर सख्ती लगाते हुए आयात शुल्क रिकॉर्ड 10 फीसदी कर दिया है। इसके साथ ही आयातित सोने का 20 फीसदी फिर से निर्यात करना अनिवार्य कर दिया है।