नई दिल्ली। दिल्ली के वसंत विहार में 16 दिसंबर को घटी गैंगरेप मामले के दोषियों मुकेश और पवन के वकील ने केस से अपना नाम वापस ले लिया है। दिल्ली गैंगरेप मामले में मौत की सजा पाए दोषियों के वकील ने मंगलवार को हाईकोर्ट को बताया कि कुछ बाहरी लोगों व कुछ वकीलों द्वारा परेशान करने और दोषियों के परिवार के सदस्यों के हस्तक्षेप करने के कारण गैंगरेप और हत्या मामले से अपना नाम वापस लिया है। दिल्ली गैंगरेप के दोषी मुकेश के वकील वीके आनंद का कहना है कि वह मुकेश के लिए हाईकोर्ट में पैरवी नहीं करेंगे।
वकील वीके आनंद ने जज रेवा खेत्रपाल और प्रतिभा रानी की पीठ को बताया कि कुछ वकील और अपराधी के परिवार के कई लोगों द्वारा काम में हस्तक्षेप करने के कारण सजा-ए-मौत के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील वापस ले ली है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग चाहते थे कि मैं निश्चित रूप से इस मामले से अलग हो जाऊं और वे लोग मेरे काम में दखलअंदाजी कर रहे थे, इसलिए मैं इस मामले से खुद को अलग करना चाहता हूं और कोर्ट मुझे इस मामले से मुक्त कर दे। उन्होंने कहा कि अपना निर्णय मुकेश के भाई को भेजी है। वीके आनंद ने कोर्ट से कहा कि मेरी आग्रह को स्वीकर करे। पीठ ने कहा कि हम आपके निर्णय में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। इसी बीच सरकारी वकील दयाल कृष्णन ने पीठ को बताया कि दोषी पवन के पैरवी वकील विवेक शर्मा करेंगे और पवन को फोन पर वीके आनंद के मामले से वापस लेने के इरादे को बता दिया गया है। दोषी विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर कल एक संयुक्त अपील दाखिल करके निचली अदालत के दोषी ठहराए जाने और क्रमश: 10 तथा 13 सितंबर को सजा सुनाए जाने के फैसले को रद्द करने की मांग की।
गौरतलब है कि दिल्ली के वसंत विहार इलाके में 16 दिसंबर 2012 को 23 साल की पैरा-मेडिकल छात्रा के साथ छह लोगों ने चलती बस में बर्बर गैंगरेप किया था। इस मामले में साकेत के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चारों दोषियों विनय शर्मा, पवन कुमार उर्फ कालू, अक्षय कुमार सिंह और मुकेश के अपराध को रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी का मानते हुए सजा-ए-मौत की सजा सुनाई। इस वीभत्स घटना से देशभर में आक्रोश की लहर फैल गई थी और इसके बाद सरकार को कठोर बलात्कार विरोधी कानून लाना पड़ा था। जज ने सजा सुनाते हुए कहा कि यह ऐसा अपराध है, जिसने समाज को हिलाकर रख दिया।