जो देखा वो आपके समक्ष ( हुँकार रैली की पूर्व-संध्या पर पटना से ) :-
(आलोक कुमार,पटना )अभी -अभी लौटा हूँ गाँधी मैदान , बेली रोड (सगुना मोड़ ), मध्य पटना के इलाकों और गाँधी सेतू के क्षेत्र से ….. मोदी की रैली में पैदल लोगों का हूजूम उमड़ा चला आ रहा है…..किसी के माथे पर चूड़ा की बोरी है तो कोई सत्तू की बोरी ही ढ़ो रहा है…… पैदल गाँधी मैदान तक जाने का कोई मलाल नहेीं है…..प्रशासन प्रहरी की भूमिका में है लेकिन सत्ताधारी दल की रैली वाली सुविधा नहीं है ( अधिकांश वाहनों को शहर की सीमा के बाहर ही रोका जा रहा है )…… जिस तरह से लोग आ रहे हैं ( जैसा मैं ने पिछ्ले तीन घंटों में देखा ) लगता है पिछली सारी रैलियों से बड़ी होगी ये रैली !!
मोतिहारी से आए हुए एक जत्थे के नेता से मैं ने जब ये सवाल किया कि क्या आप नरेन्द्र मोदी को जानते हैं तो उस शख्स ने मुझे ऐसे घूरा जैसे मैं ने कोई गुनाह कर दिया हो और बेरूखी से बोला आने दीजिए मोदी जी को सत्ता में आप पत्रकारों की दुकानदारी बंद हो जाएगी…वैशाली के जत्थे के साथ चल रहे एक बुजुर्ग ने बताया कि उनके जिले में गाँवों को मुख्य सड़क सॆ जोड़ेने वाली सड़कों के मुहानों को जे.सी.बी. लगवाकर प्रशासन ने कटवा दिया है ताकि वाहन से ज्यादा लोग नहीं आ सकें….. गाँधी मैदान में नवादा के एक जत्थे के लीडर ने कहा कि अगर कल सुशासनी प्रशासन की तरफ़ से ज्यादा दबिश हुई तो पटना में ऐसा तांडव होगा कि सुशासन बाबु याद रखेंगे……
मैं ने भी अनेकों रैलियाँ देखी हैं और कवर भी की हैं लेकिन इस बार कुछ तो अलग है ( ये मैं बिना किसी राग-द्वेष के कह सकता हूँ )… लोग जब मोदी की बात कर रहे हैं तो उनकी भाव-भंगिमा ही एकदम से बदल जा रही है…. एक और बात जो वोट-बैंक की राजनीति के संदर्भ में अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि सुबह से लेकर अभी तक जिस भीड़ से मेरा साक्षात्कार हुआ है उसमें बहुतायता पिछड़ी जाति की है …..
आलोक कुमार