प्याज के दाम थमने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं। हाल की बारिश के चलते नई फसल की प्याज बाजारों तक नहीं पहुंच रही है और बाकी कसर जमाखोरों ने पूरी कर दी है। ऐसे में निर्यात पर पाबंदी और आयात के जरिए प्याज की महंगाई थामने की कोशिशें तेज हो गई हैं।
वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने प्याज की महंगाई के लिए जमाखोरों को जिम्मेदार ठहराते हुए राज्यों को इन पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।
दिल्ली ही नहीं महाराष्ट्र की प्याज मंडियों में भी आवक घटी है और प्याज के थोक भाव 55 रुपये किलो से ऊपर पहुंच गए हैं। मंगलवार को दिल्ली की आजादपुर मंडी में प्याज 60-65 रुपये किलो तक पहुंच गया।
फुटकर में यह 80-90 रुपये किलो के बीच बेचा जा रहा है। मदर डेयरी में प्याज का खुदरा भाव 68 रुपये प्रति किलोग्राम रहा हालांकि इसकी क्वालिटी बहुत अच्छी नहीं है। व्यापारियों का कहना है कि अगर आपूर्ति नहीं सुधरी, तो प्याज की कीमत जल्द और बढ़ सकती है।
उधर, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री केवी थॉमस ने 25 अक्तूबर को प्याज उत्पादक राज्यों की बैठक बुलाकर उत्पादन और आपूर्ति की समीक्षा करने का फैसला किया है। उनका कहना है कि अच्छे दाम की उम्मीद में किसान प्याज की जमाखोरी कर रहे हैं।
इस मामले पर वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री के साथ बातचीत कर रहे हैं। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में हाल की बारिश से नई फसल के प्याज की आपूर्ति बाधित हुई है। पुरानी प्याज के भंडार खत्म हो रहे हैं जबकि नई आवक करीब 50 फीसदी से भी कम है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक महाराष्ट्र से बाजार में आने वाली प्याज की खेप अगले 15 दिनों के भीतर मार्केट में आ जाएगी। इसके बाद बाजार में प्याज की कीमतों में कमी आने के आसार हैं।
नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फांउडेशन के निदेशक सीबी होल्कर ने बताया कि अगले 15 दिनों में महाराष्ट्र से आने वाली प्याज की आपूर्ति सुधरने से बाजार में प्याज की कीमतों में सुधार होगा।