कारगिल के बाद पाक का केरन पर निशाना

keran-sector-jammu-kashmir-524c47dcb64eb_exlकारगिल के बाद की सबसे बड़ी पाकिस्तानी करतूत माने जा रहे बैट एक्शन के तहत सीमा पार से आए जवानों और आतंकियों को भारतीय सेना ने चारों ओर से घेर लिया है।

घुसपैठिये नियंत्रण रेखा के पास केरन सेक्टर के वीरान पड़े गांव शाला भाटा के खाली घरों पर डटे हुए हैं। उनके पास इतना गोला-बारूद है कि एक महीने तक मुकाबला कर सकते हैं।
बुधवार देर शाम हैवी मशीनगन से फायरिंग की भी सूचना है। नौ दिन पहले सीमा पार से आए लगभग 50 घुसपैठियों में से 20 से ज्यादा मारे जा चुके हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर सेना ने कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है।

हालात से साफ है कि घुसपैठियों में पाक सेना के जवान भी शामिल हैं। बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में 15वीं कोर के लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने दावा किया कि जल्द ही आपरेशन खत्म हो जाएगा।

आतंकियों द्वारा गांव या किसी पोस्ट पर कब्जा करने की खबरों को नकारते हुए उन्होंने कहा कि आतंकियों ने शाला भाटा के खाली घरों में शरण ले रखी है, जहां से वे लगातार गोलाबारी कर रहे हैं। इस अभियान में अब तक पांच भारतीय जवान जख्मी हुए हैं।

नौ दिनों से भारतीय जवान ऑपरेशन में लगे हुए हैं। उन्होंने माना कि घुसपैठिये जिस तरह मुकाबला कर रहे हैं, उससे इतना तो तय है कि उन्होंने न सिर्फ उच्चस्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त किया है, बल्कि पाक सेना की बार्डर एक्शन टीम (बैट) के सदस्य भी उनके साथ हैं। घुसपैठिये पाक सेना की वर्दी में हैं।

मारे गए घुसपैठियों से मिले हथियार भी पाकिस्तान के हैं। इनमें लश्कर के आतंकियों के शामिल होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

कारगिल की तरह अब केरन 
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भले ही दोनों देशों के बीच दूरियां कम करने की दुहाई दे रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जब-जब नवाज शरीफ सत्ता में आए हैं, पाक सेना द्वारा भारत पर हमला किया गया।

इससे पहले जब नवाज तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से बातचीत कर रहे थे तो पाकिस्तान ने कारगिल पर कब्जा करने की कोशिश की थी।

इस बार न्यूयार्क में जब वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत कर रहे थे तो पाक सेना ने केरन सेक्टर में घुसपैठ कर कब्जे की कोशिश की है।

1990 में गांव छोड़ चले गए थे पाक
नियंत्रण रेखा के पास होने के कारण शाला भाटा गांव के लोगों को अकसर पाकिस्तान और भारतीय सेना के बीच गोलाबारी का सामना करना पड़ता था।

इसी कारण 1990 में गांव के 21 परिवार एलओसी पार कर पाकिस्तान चले गए थे। तब से वे उस पार ही रह रहे हैं। गांव के खाली घरों में आतंकी डटे हुए हैं।